राहुल गांधी और सोनिया गांधी (फोटो फाइल)
Rahul Gandhi: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को 2 साल की सजा पर रोक लगा दी और इसके बाद आज उनकी सांसदी भी बहाल हो गई. लेकिन क्या आप जानते हैं उनकी संसद सदस्यता फटाफट बहाल करने की असली वजह क्या है? इस वजह पर आएं, उससे पहले इस पूरे घटनाक्रम को और इसके सियासी मायने को समझना जरूरी है.
शुक्रवार 4 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी. मोदी सरनेम मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी गई. दरअसल 2019 में ‘मोदी सरनेम’ पर टिप्पणी को लेकर गुजरात की अदालत ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी, जो कि मानहानि के मामले में सुनाई जाने वाली अधिकतम सजा है.यही पेंच था, जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़ा किया. आखिर अधिकतम सजा देने की वजह क्या है? इस पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद राहुल गांधी की इस सजा पर रोक लगा दी गई. सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक तब तक जारी रहेगी, जब तक सूरत की सत्र अदालत से इस मामले में फैसला नहीं आ जाता.
राहुल गांधी ने दोषी ठहराए जाने के खिलाफ सूरत की सत्र अदालत में अपील दायर कर रखी है, जो अभी भी लंबित है. ऐसे में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत तो मिली है लेकिन यह कानूनी लड़ाई अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. मार्च 2023 में निचली अदालत से 2 साल की सजा मिलने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त हो गई थी. लोकसभा सचिवालय ने सजा मिलते ही एक अधिसूचना के तहत उनकी संसद सदस्यता को खारिज कर दिया था. जैसे ही सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक आई, इसके बाद फिर से राहुल गांधी लोकसभा में दिखाई दिए. लेकिन जिस तेजी से उनकी संसद सदस्यता रद्द की गई थी, उसी तेजी से उनकी संसद सदस्यता को बहाल करने के कुछ दिलचस्प पहलू हैं.
सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना चुकी थी कांग्रेस
कांग्रेस ने अपना मन बना लिया था कि यदि आज संसद सदस्यता बहाल नहीं होती है तो वह फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे. सुप्रीम कोर्ट अपनी स्पष्ट टिप्पणी पहले ही रख चुका है. लिहाजा राहुल की संसद सदस्यता तो बहाल करनी ही पड़ती. ऐसे में टालमटोल का कोई मतलब नहीं था. कानूनी लड़ाई में यह उनके लिए बड़ी राहत है. हां जैसा ऊपर लिखा गया कि कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. अधिकतम सजा क्यों दी गई? यह मुद्दा अब भी बरकरार है. ‘मोदी सरनेम’ मामले में वह अब भी दोषी हैं.
4 अगस्त को ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के फौरन बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की थी और राहुल की सदस्यता बहाल करने का आग्रह किया था. स्पीकर ने उस वक्त कहा था कि सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिलने के बाद ही इस पर फैसला होगा. इसके बाद अगले ही दिन अधीर रंजन ने छुट्टी होने के चलते लोकसभा सचिवालय में डाक के माध्यम से कागज भेज दिए थे. अधीर रंजन ने बताया कि अवर सचिव ने कागज रिसीव किए और साइन कर दिए लेकिन मुहर नहीं लगाई. इसके 2 दिन बाद लोकसभा सचिवालय से अधिसूचना जारी की गई. इसमें लिखा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के 4 अगस्त के आदेश के मुताबिक राहुल की सजा पर रोक लगा दी गई है, जिसके चलते उनकी संसद सदस्यता बहाल की जा रही है.
पार्टी ने बताया ‘नफरत पर मोहब्बत की जीत’
राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल हुई और कांग्रेस के खेमे में जश्न का माहौल देखने को मिला. करीब 10 मिनट के अंदर 2 ट्वीट किए गए. पार्टी ने सदस्यता बहाली के नोटिफिकेशन को शेयर करते हुए लिखा, ‘नफरत पर मोहब्बत की जीत’ है. वहीं अधीर रंजन, अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को मिठाई खिलाते नजर आए. पार्टी ने वीडियो शेयर किया और लिखा, राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो गई है. सत्य की जीत है, भारत के लोगों की जीत है.
कुल मिलाकर आने वाले दिनों में राहुल गांधी की संसद सदस्यता का जाना और फिर उनकी संसद सदस्यता का बहाल होना यह बड़ा मुद्दा बनाया जाएगा. उनकी यह सजा कांग्रेस के लिए सहानुभूति बटोरने की एक बड़ी वजह भी बन रही थी. आगामी चुनाव को देखते हुए भी यह कांग्रेस के पास एक बड़े अस्त्र के तौर पर दिखाई दे रही थी. राहुल अब एक बार फिर संसद में है, देखना दिलचस्प होगा कि उनके तेवर क्या होते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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