Bharat Express

Ishana Sharma




भारत एक्सप्रेस


महिलाओं के खिलाफ घिनौने कृत्य अनंत काल से होते आ रहे हैं और ये आज भी जारी हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि आज समाज ने ऐसे अपराधों को अत्यधिक सामान्य मान लिया है. ऐसे अन्यायों के लिए तालिबान जैसे समूहों को दोष देना सही है, लेकिन हम भी इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं.

अफसोस की बात है कि फेंटेनाइल ने अवैध दवा बाजार में एक अंधेरा रास्ता खोज लिया है, जहां इसे हेरोइन और कोकीन जैसे अन्य मनोवैज्ञानिक पदार्थों के साथ मिलाकर उनकी क्षमता बढ़ाई जाती है.

यदि मैं आपसे कहूँ कि इस परीक्षा में 720 में से 720 का पूर्ण स्कोर प्राप्त करना भी आपको एम्स दिल्ली में एक निश्चित सीट की गारंटी देने के लिए पर्याप्त नहीं है. भारत में प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज? नीट 2024 के साथ बिल्कुल यही हुआ है.

महिलाओं के अधिकारों की वकालत करना सभी का कर्तव्य है, चाहे वह स्त्रीवादी हो या नहीं. साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि पुरुषों को उनके पूर्वजों के गलत कार्यों के लिए प्रताड़ित न किया जाए.

छोटे या बड़े स्तर के सभी युद्ध और संघर्षों का सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और मानवीय मोर्चे पर चौतरफा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसका खामियाजा सबसे अधिक कमजोर समुदाय को भुगतना पड़ता है.

सरकार में भ्रष्टाचार, जिसमें ग्राहकवाद और क्रोनियम शामिल है, महिलाओं को जीबीवी के मामलों की रिपोर्ट करने से रोकता है, जिससे दोषियों को खुलेआम घूमने और बरी होने का मौका मिलता है.

ईरान में महसा अमीनी की हत्या के बाद से ही महिलाओं के अधिकारों की चर्चा होने लगी है और इसके लिए एक मिलियन सिग्नेचर का अभियान भी चला था.

China Covid Cases: हांगकांग और साउथ कोरिया में भी ऐसा ही हुआ. उन्होंने भी बेहद कठोर नीतियां लागू कीं लेकिन ओमिक्रॉन वेरिएंट ने हजारों लोगों को संक्रमित किया और सैकड़ों लोगों की जान ले ली.