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PMLA कानून के दायरे में आएंगे CA, CS , जेल जाने की भी आ सकती है नौबत

वित्त मंत्रालय ( Ministry of finance ) ने नोटिफिकेशन जारी कर एंटी मनी लॉन्डरिंग कानून का दायरा बढ़ा दिया. जारी PMLA  नोटिफिकेशन के मुताबिक अगर CA, CS, ICWA  अपने किसी क्लाइंट के लिए सेलेक्टेड वित्तीय सौदे करते हैं तो वो प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) कानून के दायरे में आएंगे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

CA, CS And Cost Accountants Are under PMLA : वित्त मंत्रालय ( Ministry of finance ) ने नोटिफिकेशन जारी कर एंटी मनी लॉन्डरिंग कानून का दायरा बढ़ा दिया. जारी PMLA  नोटिफिकेशन के मुताबिक अगर CA, CS, ICWA  अपने किसी क्लाइंट के लिए सेलेक्टेड वित्तीय सौदे करते हैं तो वो प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) कानून के दायरे में आएंगे. ध्यान देने वाली बात ये है कि अब कंपनियां, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप या ट्रस्ट बनाने, खोलने, चलाने पर ये प्रोफेशनल्स PMLA के दायरे में आएंगे.

कब PMLA के दायरे में आएंगे CA और CS –

नोटिफिकेशन के मुताबिक अगर CA और CS  अपने किसी क्लाइंट के लिए अचल संपत्तियों की खरीद-बिक्री करेगें तब भी PMLA कानून लागू होगा. क्लाइंट के धन, संपत्ति और सिक्योरिटीज का देखभाल करने पर भी PMLA कानून लागू होगा. कंपनियों के कामकाज के लिए पैसे जुटाने पर भी PMLA कानून लागू होगा. हालांकि वकीलों को फिलहाल इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है. इस नोटिफिकेशन के जारी होने के बाद उन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, कंपनी सेक्रेटरीज और कॉस्ट अकाउंटेंट की चिंता बढ़ गई है जो अपने क्लाइंट्स के लिए कंपनियां खोलने जैसी गतिविधियों में सक्रिय रुप से भाग लेते थे क्योंकि अब एंटी मनी लॉन्डरिंग कानून PMLA के दायरे में आएंगे. इतना ही नहीं अगर उनका क्लाइंट मादक पदार्थों से जुड़ा पाया गया तो नारकोटिक्स ड्रग एंड साइकोट्रापिक सबस्टेंस एक्ट के तहत 10 साल की सजा प्रोफेशनल्स को होगी

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क्यों सरकार ने उठाया ये कदम-

दरअसल लगातार बढ़ती शेल कंपनियां सरकार का सिरदर्द बनती जा रही है. काले धन को सफेद करने के मकसद से खोली जाने वाली ये कंपनियां सरकार की चिंता का सबब बनती जा रही है. सबसे खास बात ये है कि इन कंपनियों में ओनरिशप की मल्टीलेयरिंग होने से असली मालिक तक पहुंचने में एजेंसियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. हाल ही में जांचों में इस तरह की कंपनियों में प्रोफेशनल्स का हाथ सामने आया है जिसके बाद सरकार ने ये कदम उठाया है.

सरकार उम्मीद करती है कि अब फाइनेंस प्रोफेशनल्स सौदे करने से पहले सौदों का असली मकसद और फंड का सोर्स वगैरह पता करने या साफ शब्दों में कहे तो पूरा रिकॉर्ड रखना होगा. वहीं प्रोफेशनल्स का कहना है कि वो ऑलरेडी संसद द्वारा पारित नियमों के अधीन हैं ऐसे में सरकार को इस तरह का आदेश पारित करने की जरूरत क्यों पड़ी .

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