
जनवरी में भारत का सोयाबीन खली निर्यात 2.78 लाख टन तक पहुंच गया. यह अक्टूबर-सितंबर की अवधि के दौरान चालू तेल वर्ष में अब तक का सबसे अधिक निर्यात है. ऐसा प्रतिस्पर्धी कीमतों पर मजबूत मांग और प्रीमियम उपज की उपलब्धता के कारण हुआ.
निर्यातकों ने कहा, तेल वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है, जिसमें शुरुआती महीनों में बेहतर गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी दरों पर प्रचुर उपलब्धता के कारण निर्यात की मात्रा चरम पर होती है.
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने कहा, “जनवरी में सोयाबीन खली का निर्यात बढ़कर 2.78 लाख टन हो गया. यह पिछले महीने से थोड़ा अधिक है और इस चालू तेल वर्ष में अब तक का सबसे अधिक निर्यात है.” सोपा द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और केन्या भारतीय मूल के सोयाबीन खली के प्रमुख खरीदार बनकर उभरे.
फ्रांस ने 54,520 मीट्रिक टन सोयाबीन खली खरीदा
SOPA के अनुसार, फ्रांस ने जनवरी में भारत से 54,520 मीट्रिक टन, जर्मनी ने 53,705 मीट्रिक टन, नीदरलैंड ने 45,800 मीट्रिक टन और केन्या ने 10,43 मीट्रिक टन सोयाबीन खली का आयात किया. मध्य प्रदेश देश में सोयाबीन की खेती करने वाला एक प्रमुख राज्य है. आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के दौरान सोयाबीन खली का निर्यात 7.96 लाख टन रहा, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 9.34 लाख टन था.
पिछला वर्ष सोयाबीन निर्यातकों के लिए अनुकूल साबित हुआ क्योंकि 2023-24 तेल वर्ष में भारत से सोयाबीन खली का कुल निर्यात बढ़कर 22.75 लाख टन हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है. भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सोपा ने सरकार से सोयाबीन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बिना किसी लागत के उच्च उपज वाले सोयाबीन बीज की किस्में वितरित करने की याचिका दायर की.
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-भारत एक्सप्रेस
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