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भारत की वित्तीय प्रणाली मजबूत और विविधतापूर्ण: IMF रिपोर्ट

IMF की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वित्तीय प्रणाली पहले से अधिक मजबूत और विविध हो गई है. तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और मजबूत नियमन से यह महामारी के प्रभाव को भी सहने में सक्षम रही है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Prashant Rai Edited by Prashant Rai

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वित्तीय प्रणाली पहले की तुलना में अधिक मजबूत और विविध हो गई है. तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ने इसे मजबूती दी है, और यह महामारी के प्रभाव को भी सहने में सफल रही है.

IMF और विश्व बैंक (WB) के संयुक्त कार्यक्रम फाइनेंशियल सेक्टर असेसमेंट प्रोग्राम (FSAP) के तहत भारत की वित्तीय प्रणाली का गहन विश्लेषण किया गया. इस आधार पर IMF ने India-FSSA रिपोर्ट जारी की है, जबकि विश्व बैंक की फाइनेंशियल सेक्टर असेसमेंट (FSA) रिपोर्ट अभी प्रकाशित होनी बाकी है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को एक बयान में कहा, “भारत IMF-विश्व बैंक टीम द्वारा की गई इस मूल्यांकन प्रक्रिया का स्वागत करता है, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप है.”

वित्तीय प्रणाली पहले से अधिक मजबूत

IMF रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में किए गए पिछले FSAP मूल्यांकन के बाद से भारत की वित्तीय प्रणाली में काफी सुधार हुआ है. तेजी से आर्थिक विकास के कारण वित्तीय ढांचा अधिक स्थिर हुआ है. 2010 के वित्तीय संकट से उभरने और महामारी का सामना करने में भारत की वित्तीय प्रणाली सफल रही.

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और बाजार वित्तपोषण में वृद्धि हुई है, जिससे वित्तीय क्षेत्र अधिक विविध और आपस में जुड़ा हुआ हो गया है. सरकारी वित्तीय संस्थानों की हिस्सेदारी अब भी महत्वपूर्ण बनी हुई है.

बैंकों और NBFCs का मूल्यांकन

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के मुख्य ऋणदाता क्षेत्र (लेंडिंग सेक्टर्स) व्यापक आर्थिक झटकों को सहने में सक्षम हैं. बैंक और NBFCs के पास पर्याप्त पूंजी है, जिससे वे गंभीर आर्थिक परिस्थितियों में भी संतुलित रूप से कर्ज देने में सक्षम होंगे.

हालांकि, कुछ सरकारी बैंक (PSBs) को अपनी पूंजी संरचना को और मजबूत करने की जरूरत है. कुछ छोटी NBFCs और शहरी सहकारी बैंक (UCBs) को पूंजी की कमी का सामना करना पड़ सकता है. अल्पकालिक तरलता संकट (Short-term Liquidity Stress) की संभावना कम है.

नियमन और साइबर सुरक्षा

IMF ने NBFCs के लिए भारत के नियामक दृष्टिकोण की सराहना की. खासतौर पर स्केल-बेस्ड रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और बैंकिंग-जैसी लिक्विडिटी कवरेज अनुपात (LCR) की नीति को एक सकारात्मक कदम बताया.

इसके अलावा, सिक्योरिटीज मार्केट के नियमन में भी सुधार हुआ है. कॉरपोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (CDMDF) जैसी नीतियों की प्रशंसा की गई. IMF रिपोर्ट में बीमा क्षेत्र को भी स्थिर और बढ़ते हुए बताया गया है. डिजिटल नवाचारों और बेहतर नियमन से यह क्षेत्र और मजबूत हुआ है.

साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय प्राधिकरणों ने बैंकिंग, वित्तीय बाजार और महत्वपूर्ण सूचना प्रणाली को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर निगरानी प्रणाली विकसित की है. हालांकि, रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए साइबर सुरक्षा परीक्षण और संकट प्रबंधन अभ्यास को और अधिक व्यापक बनाया जाना चाहिए.


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IMF ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत की वित्तीय प्रणाली में सुधार के लिए जो सिफारिशें दी गई हैं, वे मुख्य रूप से संरचना और संचालन को और अधिक प्रभावी बनाने पर केंद्रित हैं. साथ ही, ये सिफारिशें भारत के संबंधित नियामकों और अधिकारियों की पहले से चल रही योजनाओं के अनुरूप भी हैं.

-भारत एक्सप्रेस



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