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मंदी के बावजूद भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था रहेगा: Tata Group के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन

Tata Group Chairman N Chandrasekaran: एन चंद्रशेखरन ने कहा कि भारत भले ही इस वर्ष थोड़ी मंदी का सामना कर रहा हो, लेकिन वह दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

Tata Group Chairman N Chandrasekaran

टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन

World’s fastest Growing Economy: टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था इस वर्ष भले ही थोड़ी मंदी का सामना कर रही हो, लेकिन आने वाले वर्षों में भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बनेगा.

चंद्रशेखरन ने चेनई में NIT त्रिची के वैश्विक अलुम्नाई मीट में यह बयान दिया. उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, नवीकरणीय ऊर्जा, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे 3 प्रमुख बदलाव भारत की ताकतों के अनुरूप हो रहे हैं. उनका मानना है कि भारत की वृद्धि में यह अस्थायी मंदी जल्दी समाप्त हो जाएगी और देश अपनी बढ़ती दर को बनाए रखेगा.

देश के लिए एक ऐतिहासिक अवसर

चंद्रशेखरन ने बताया कि भारत के पास दुनिया की विकास प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभाने का एक बहुत बड़ा अवसर है. चीन की आर्थिक मंदी और इसके गिरते वैश्विक योगदान (30% से घटकर 25% और आने वाले वर्षों में 20% से भी कम होने का अनुमान) से भारत को लाभ मिल सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि भारत की डिजिटल और नवीकरणीय ऊर्जा में उत्कृष्ट प्रगति, जैसे 45% नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, भारत को भविष्य में एक प्रमुख वैश्विक ताकत बना सकता है.

AI में आने वाला साल होगा शानदार

चंद्रशेखरन ने 2025 को एआई के लिए एक “फिनोमिनल साल” बताया, जिसमें छोटे भाषा मॉडल (SLMs) और बड़े भाषा मॉडल (LLMs) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश की उम्मीद है. उनका कहना था कि छोटे भाषा मॉडल कम ऊर्जा खर्च करेंगे और तेजी से परिणाम देंगे, जो इसे एक रोमांचक क्षेत्र बनाएंगे.

समस्याओं को हल करने के लिए तैयार

हालांकि, चंद्रशेखरन ने भारत के सामने कुछ चुनौतियों का भी उल्लेख किया, जैसे असमानता, स्वास्थ्य और शिक्षा का पहुंच, बुजुर्गों की देखभाल, श्रम उत्पादकता और नौकरी सृजन, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि भारत इन समस्याओं को हल करने के लिए तैयार है.

नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति

चंद्रशेखरन ने यह भी कहा कि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा में अद्वितीय प्रगति की है और इस क्षेत्र में और अधिक योगदान देने की क्षमता है. वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के लिए कार्बन उत्सर्जन को 43% तक घटाने की आवश्यकता है, और भारत इस दिशा में अहम कदम उठा रहा है.

इंडिया प्लस मॉडल

अंत में चंद्रशेखरन ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि भारत में मौजूद जनसंख्या, स्केल, उद्यमिता, और सरकारी समर्थन भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण स्थान दिलाने के लिए तैयार हैं.

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