प्रतीकात्मक चित्र
PLI schemes: भारत सरकार की प्रोडक्ट-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र में बदलाव लाया है और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इस योजना के माध्यम से भारतीय उद्योग में न केवल वृद्धि हुई है, बल्कि यह देश की आर्थिक मजबूती को भी बढ़ा रहा है.
PLI योजना का लक्ष्य भारत में विनिर्माण क्षमता को बढ़ाना, रोजगार सृजन करना और निर्यात को बढ़ावा देना है. इस योजना का कुल बजट 1.97 लाख करोड़ रुपये (लगभग 26 अरब अमेरिकी डॉलर) है, जो 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करता है.
भारत सरकार की प्रोडक्ट-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना का उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करना है. यह योजना नवंबर 2020 में शुरू की गई थी.
PLI योजना से निवेश और प्रोडक्टन में वृद्धि
PLI योजना ने अब तक 1.46 लाख करोड़ रुपये (17.5 अरब डॉलर) का निवेश आकर्षित किया है. इसके चलते प्रोडक्टन और बिक्री में 12.50 लाख करोड़ रुपये (150 अरब डॉलर) की वृद्धि हुई है. साथ ही, निर्यात में भी जबरदस्त वृद्धि हुई है, जो 4 लाख करोड़ रुपये (48 अरब डॉलर) तक पहुंच गया है. इसके अलावा, इस योजना ने 9.5 लाख लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए हैं.
PLI योजना के महत्वपूर्ण क्षेत्र और विस्तार
PLI योजना में मोबाइल निर्माण, फार्मास्युटिकल्स, ऑटोमोबाइल्स, स्पेशलिटी स्टील, टेलीकॉम और उन्नत रसायन कोशिका (ACC) बैटरियों जैसे 14 महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इस योजना के तहत 27 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 1,300 से अधिक निर्माण इकाइयाँ स्थापित की गई हैं.
MSME क्षेत्र पर PLI योजना का प्रभाव
PLI योजना ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (MSME) के क्षेत्र को भी सशक्त किया है. प्रमुख इकाइयों के स्थापित होने से आपूर्ति श्रृंखला में छोटे आपूर्तिकर्ताओं की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे MSME क्षेत्र को मजबूती मिली है.
व्हाइट गुड्स सेक्टर में सफलता
व्हाइट गुड्स (एयर कंडीशनर और एलईडी लाइट्स) सेक्टर में PLI योजना ने खास सफलता हासिल की है. इस क्षेत्र के लिए FY 2021-22 से FY 2028-29 तक 6,238 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि मंजूर की गई थी, जिसमें से 47% निवेश का लक्ष्य पहले ही पूरा हो चुका है. इसके अलावा, इस योजना से 48,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हुआ है. योजना के अंत तक इस क्षेत्र में घरेलू मूल्य वर्धन 20-25% से बढ़कर 75-80% तक पहुँचने की संभावना है.
योजना का समग्र प्रभाव और भविष्य
आने वाले वर्षों में इस योजना से और भी बड़े निवेश और विकास की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा और निर्यात में सुधार होगा.
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