

अमेरिका द्वारा प्रस्तावित व्यापारिक शुल्क फिलहाल टाल दिए जाने से दुनिया भर के बाजारों ने राहत की सांस ली है. मंदी की आशंकाओं के बीच एचडीएफसी बैंक समेत कई नामी संस्थानों के बोर्ड में शामिल अनुभवी बैंकर केकी मिस्त्री ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को लेकर सकारात्मक रुख जताया है.
केकी मिस्त्री का मानना है कि मौजूदा हालात में भारत की आर्थिक स्थिति बेहद स्थिर है और निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, “मेरे हिसाब से भारतीय बाजार बहुत मज़बूत हैं और अगर कोई निवेश करना चाहता है, तो ये लंबे समय के लिए बेहतरीन मौका है.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भले ही अल्पकालिक उतार-चढ़ाव देखने को मिलें, लेकिन भारत का दीर्घकालिक भविष्य उज्ज्वल है.
भारत पर व्यापार शुल्क का सीमित असर
व्यापारिक शुल्क के संभावित प्रभाव को लेकर मिस्त्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा. उनके अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू मांग पर आधारित है, न कि निर्यात पर. उन्होंने बताया कि “हम अब भी बड़े निर्यातक नहीं हैं. जब तक हम युवाओं को, खासकर कॉलेज से निकलने वाले छात्रों को रोजगार देते रहेंगे, अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहेगी.”
केकी मिस्त्री के अनुसार, वैश्विक बाजार अक्सर अनिश्चितताओं के समय जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया देते हैं. उन्होंने सलाह दी कि भारत को वैश्विक संदर्भ में तुलना के नजरिए से देखना चाहिए, न कि अलग-थलग करके. “व्यापार शुल्क को लेकर जितनी चर्चा हो रही है, उससे कहीं कम इसका वास्तविक असर होगा,” उन्होंने कहा.
आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण
मिस्त्री ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि भारत का कुल निर्यात जीडीपी का केवल 21 फीसदी है और इसमें से अमेरिका को होने वाला निर्यात महज 17 फीसदी. ऐसे में व्यापार शुल्क का सीधा असर जीडीपी पर 40 से 50 आधार अंकों तक सीमित रहेगा.
केकी मिस्त्री ने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में गिरावट और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बाजार में नकदी बढ़ाने जैसे कदमों से संभावित नुकसान की भरपाई संभव है. उनके मुताबिक, “तेल की कीमतों में कमी से जीडीपी को 10 आधार अंकों का लाभ मिलेगा और नकदी प्रवाह बढ़ने से भी 10 आधार अंकों का फायदा होगा. इस तरह कुल मिलाकर जीडीपी पर असर 25 से 30 आधार अंकों से अधिक नहीं होगा.”
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-भारत एक्सप्रेस
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