
देश में कम हो रही गरीबी

भारत के 106 सबसे पिछड़े जिलों में से लगभग आधे जिलों में बहुआयामी गरीबी (Multidimensional Poverty) में राज्य की औसत दर से अधिक तेज गिरावट दर्ज की गई है. यह जानकारी नीति आयोग की बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) 2023 रिपोर्ट के आधार पर सामने आई है.
रिपोर्ट के अनुसार, इन 106 आकांक्षी जिलों में से 46 प्रतिशत जिलों में FY16 से FY21 के बीच गरीबी में गिरावट की रफ्तार राज्य के औसत से अधिक रही. इस दिशा में मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, असम और तमिलनाडु जैसे राज्यों के आकांक्षी जिलों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है.
बहुआयामी गरीबी क्या है?
बहुआयामी गरीबी केवल आय की कमी को नहीं दर्शाती, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण, आवास आदि जैसे सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के आधार पर भी निर्धारण करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल को एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि देश के पिछड़े जिलों को आकांक्षी जिलों के रूप में पुनर्परिभाषित कर योजनाओं को मिशन मोड में लागू किया गया, जिसका सकारात्मक प्रभाव दिखा है.
“पहले 100 जिलों को पिछड़ा कहा जाता था, जो मुख्यतः पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों में थे. हमने उन्हें आकांक्षी कहा और उनके विकास के लिए ठोस योजनाएं बनाई. आज वही जिले राज्य और राष्ट्रीय औसत से बेहतर कर रहे हैं,” उन्होंने कहा.
सरकार ने 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य देश के सबसे गरीब जिलों में सामाजिक-आर्थिक विकास को ट्रैक करना था.
राज्यवार प्रदर्शन
राज्यवार प्रदर्शन की बात करें तो आंध्र प्रदेश के तीनों आकांक्षी जिलों में बहुआयामी गरीबी अनुपात में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जबकि राज्य की औसत गिरावट 48.5 प्रतिशत रही. विशेष रूप से वाईएसआर कडपा जिले में गरीबी दर 9.14 प्रतिशत से घटकर 3.34 प्रतिशत हो गई, जो कि 64 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट है. इन तीनों जिलों का औसत सुधार 54.7 प्रतिशत रहा. वहीं, मध्य प्रदेश के आकांक्षी जिलों ने भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए गरीबी में 46.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की, जबकि राज्य का औसत 40.6 प्रतिशत रहा. दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ के लगभग सभी आकांक्षी जिलों में गरीबी में कमी देखी गई, लेकिन बीजापुर जिले में स्थिति विपरीत रही, जहां बहुआयामी गरीबी 41.2 प्रतिशत से बढ़कर 49.7 प्रतिशत हो गई.
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य की बात करें तो भारत में कुल बहुआयामी गरीबी 2015-16 में 24.85 प्रतिशत थी, जो 2019-21 के दौरान घटकर 14.96 प्रतिशत पर आ गई. यह देश भर में सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है. खास बात यह है कि 2019-21 में देश के 112 आकांक्षी जिलों में से लगभग 20 प्रतिशत जिलों का बहुआयामी गरीबी अनुपात उनके संबंधित राज्यों की औसत दर से कम था, जबकि 2015-16 में ऐसे जिलों की संख्या केवल 17 प्रतिशत थी. यह आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने कई पिछड़े क्षेत्रों में अपेक्षाकृत तेज विकास को संभव बनाया है.
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-भारत एक्सप्रेस
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