(प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के अनुसार, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मुंबई शहर में दिसंबर 2024 में 12,518 संपत्ति पंजीकरण दर्ज किए जाने का अनुमान है, जिससे राज्य के खजाने में 1,154 करोड़ रुपये का राजस्व आएगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में संपत्ति पंजीकरण में 2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई, जबकि स्टांप शुल्क संग्रह में साल-दर-साल (YoY) 24 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई, जो उच्च-मूल्य वाले लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि से प्रेरित है.
वर्ष 2024 के लिए संपत्ति बिक्री पंजीकरण की कुल संख्या 1,41,302 तक पहुंच जाएगी, जबकि वर्ष के लिए संपत्ति पंजीकरण से उत्पन्न राजस्व 12,161 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. ये दोनों 13 साल के नए उच्च स्तर को दर्शाते हैं.
23 प्रतिशत की वृद्धि
क्रमिक आधार पर (मासिक आधार पर) दिसंबर 2024 में संपत्ति पंजीकरण में सालाना आधार पर 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इसी अवधि में संपत्ति पंजीकरण से स्टांप शुल्क संग्रह में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई. दिसंबर में कुल पंजीकरण में आवासीय संपत्तियों का हिस्सा 80 प्रतिशत था.
नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘पंजीकरण और राजस्व में लगातार वृद्धि मजबूत मांग को दर्शाती है, खासकर प्रीमियम और विशाल घरों के लिए. डेटा यह भी दर्शाता है कि मुंबई का रियल एस्टेट बाजार आर्थिक गतिविधि का एक प्रमुख चालक और एक आकर्षक दीर्घकालिक निवेश है.’ रिपोर्ट के अनुसार, शहर में उच्च मूल्य वाली संपत्तियों के पंजीकरण में लगातार वृद्धि हो रही है. दिसंबर 2024 में 2 करोड़ रुपये और उससे अधिक कीमत वाली संपत्तियों का पंजीकरण 23 प्रतिशत था, जो दिसंबर 2023 में 18 प्रतिशत था.
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प्रीमियम रियल एस्टेट
इस सेगमेंट में कुल 2,879 संपत्तियों के लेन-देन हुए, जो प्रीमियम रियल एस्टेट की ओर बढ़ते झुकाव को दर्शाता है. इसके विपरीत 50 लाख रुपये से कम मूल्य वाली संपत्तियों के पंजीकरण में काफी गिरावट आई, जो 30 प्रतिशत से घटकर 25 प्रतिशत रह गई, जो उच्च मूल्य वाले सेगमेंट की ओर खरीदार की प्राथमिकताओं में बदलाव का संकेत है.
1,000-2,000 वर्ग फुट के अपार्टमेंट की लोकप्रियता में वृद्धि हुई, उनकी हिस्सेदारी 8 प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गई, जबकि 2,000 वर्ग फुट से अधिक वाले अपार्टमेंट की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत पर स्थिर रही. 500 वर्ग फीट तक की छोटी इकाइयों के पंजीकरण में तीव्र गिरावट देखी गई, जो 51 प्रतिशत से घटकर 35 प्रतिशत रह गई, जो विशाल घरों के प्रति बढ़ती प्राथमिकता का संकेत है.
महत्वपूर्ण वृद्धि का अनुभव
पश्चिमी उपनगर और केंद्रीय उपनगरों ने अपना दबदबा कायम रखा, कुल बाजार हिस्सेदारी का 86 प्रतिशत हिस्सा उनके पास रहा. हालांकि, केंद्रीय उपनगरों ने सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि का अनुभव किया, उनकी हिस्सेदारी 29 प्रतिशत से बढ़कर 33 प्रतिशत हो गई, जबकि पश्चिमी उपनगरों में 57 प्रतिशत से 53 प्रतिशत तक मामूली गिरावट देखी गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वृद्धि आपूर्ति में वृद्धि और इन स्थानों में अंतिम उपयोगकर्ता की बढ़ती रुचि को दर्शाती है.
-भारत एक्सप्रेस
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