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दुर्लभ बीमारी के मरीज़ों ने दवा की कीमत में भारी कटौती की स्वागत किया

स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए), एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों के माता-पिता ने भारतीय फार्मा कंपनी, नैटको की इस घोषणा का स्वागत किया कि वह एसएमए दवा रिस्डिप्लाम का जेनेरिक संस्करण बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनी रोश द्वारा वर्तमान में ली जा रही कीमत के एक अंश पर उपलब्ध कराएगी.

प्रतीकात्मक फोटो.

स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए), एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों के माता-पिता ने भारतीय फार्मा कंपनी, नैटको की इस घोषणा का स्वागत किया कि वह एसएमए दवा रिस्डिप्लाम का जेनेरिक संस्करण बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनी रोश द्वारा वर्तमान में ली जा रही कीमत के एक अंश पर उपलब्ध कराएगी. एसएमए से पीड़ित एक वयस्क रोगी के इलाज की लागत लगभग 72 लाख रुपये प्रति वर्ष से, जेनेरिक उत्पादन के साथ लगभग 5 लाख रुपये प्रति वर्ष तक कम हो सकती है.

नैटको ने “भारत में रिस्डिप्लाम लॉन्च के संबंध में कानूनी अपडेट” में बताया कि “कंपनी ने उत्पाद (रिस्डिप्लाम) की कीमत 15,900 रुपये प्रति 60 मिलीग्राम की बोतल रखने का फैसला किया है.” 20 किलोग्राम से अधिक वजन वाले व्यक्ति को प्रति माह लगभग 2.5-3 बोतलों की आवश्यकता होती है, हालांकि, नैटको का रिसडिप्लाम बनाना इस बात पर निर्भर करता है कि 24 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय में एकल पीठ के फैसले के खिलाफ रोश द्वारा दायर मामले का नतीजा क्या होगा.

उच्च न्यायालय ने नैटको द्वारा दवा बनाने के खिलाफ निषेधाज्ञा लगाने की रोश की याचिका को खारिज कर दिया था. एसएमए से पीड़ित एक बच्चे के माता-पिता ने कहा, “प्रभावकारिता और सुरक्षा से समझौता किए बिना इस दवा को कम कीमत पर उपलब्ध कराने से पहुंच बढ़ेगी और यह गेम चेंजर होगा. इससे मरीजों के लिए काफी फर्क पड़ेगा.”

भारत से 2 लाख रूपये प्रति बोतल है कीमत

एसएमए मरीज सेबा पीए ने सर्वोच्च न्यायालय में अपने हलफनामे में बताया कि चीन में रोश के रिसडिप्लाम की कीमत लगभग 44,700 रुपये प्रति बोतल और पाकिस्तान में लगभग 41,000 रुपये प्रति बोतल है. उन्होंने बताया कि ये कीमत भारत की कीमत से 80% कम है, जहां रोश 2 लाख रुपये प्रति बोतल की कीमत पर दुर्लभ रोगों के लिए उत्कृष्टता केंद्रों को रिसडिप्लाम की आपूर्ति करता है. येल विश्वविद्यालय के एक दवा मूल्य निर्धारण विशेषज्ञ ने गणना की है कि स्थानीय उत्पादन के साथ, रिसडिप्लाम बनाने की लागत 3,000 रुपये प्रति वर्ष जितनी कम हो सकती है.

केंद्र सरकार की दुर्लभ रोग नीति अपने दुर्लभ रोग पोर्टल पर पंजीकृत व्यक्तियों के लिए 50 लाख रुपये तक की एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान करती है. रोश द्वारा ली जा रही वर्तमान कीमत पर, 50 लाख रुपये एक साल के लिए भी रिसडिप्लाम की लागत को कवर नहीं करेंगे.

नैटको ने जो कम कीमत की घोषणा की है, उसके साथ 50 लाख रुपये एसएमए के एक मरीज को लगभग दस वर्षों तक दवाओं तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं. सरकारी पोर्टल पर 750 से अधिक एसएमए रोगी पंजीकृत हैं.  एसएमए से पीड़ित बच्चों के माता-पिता द्वारा गठित ट्रस्ट क्योर एसएमए में 1,800 मरीज पंजीकृत हैं. हालांकि, कोर्ट में क्योर एसएमए हस्तक्षेप आवेदन के अनुसार, केवल दो या तीन एसएमए रोगियों को ही सरकार से कोई वित्तीय सहायता मिली है.

केंद्र के 200 करोड़ में केवल 7 करोड़ किए गए खर्च

2018-19, 2019-2020 और 2020-21 में दुर्लभ बीमारियों से संबंधित व्यय के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित 200 करोड़ रुपये में से केवल 7 करोड़ रुपये खर्च किए गए. अगर सरकार एसएमए के 1,800 रोगियों को 50 लाख रुपये प्रदान करती है, तो इस पर 90,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे और फिर भी उन्हें दवा की मौजूदा कीमत पर एक साल की दवा भी नहीं मिल पाएगी. इसे परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, 2024 के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का वार्षिक बजट 90,000 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक था.


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-भारत एक्सप्रेस



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