Bharat Express

भारत की रक्षा क्रांति: डिफेंस सेक्‍टर में आत्मनिर्भरता की राह खुली, सहयोग से शक्ति की ओर बढ़ रहा देश

Public-Private Partnership: भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए टियर-1 प्रणालियों, R&D और निजी-पब्लिक साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिससे वैश्विक नेतृत्व की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके.

ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल

Vijay Ram Edited by Vijay Ram

मारियो गोंजाल्वेस (इंडिया लीडर- पब्लिक सर्विसेज) और विनोद नरसिंहमूर्ति (BCG)


आज के तेज़ी से बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक हो गई है, विशेषकर रक्षा, अंतरिक्ष और उन्नत निर्माण जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में. “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” का नारा अब केवल एक अभियान नहीं, बल्कि भारत को रक्षा प्लेटफॉर्मों का निर्यातक बनाने की दिशा में एक वास्तविक परिवर्तन बन गया है. उदाहरण के लिए, ब्रह्मोस और पिनाका जैसे सिस्टम अब वैश्विक स्तर पर पहचान बना चुके हैं.

टियर-1 इकोसिस्टम: आत्मनिर्भरता की कुंजी

हालांकि अब तक कई उपलब्धियाँ हासिल की गई हैं, फिर भी महत्वपूर्ण प्रणालियों और उप-प्रणालियों के विकास के लिए टियर-1 इकोसिस्टम को मजबूत करने की ज़रूरत है. डीपीएसयू (Defence PSUs) और बड़े रक्षा निर्माताओं के साथ-साथ एमएसएमई (MSME) कंपनियों के माध्यम से अब तक जो हुआ, उसे और आगे बढ़ाकर हम तकनीकी रूप से उन्नत प्रणालियों का विकास कर सकते हैं.

गुणवत्ता से वैश्विक नेतृत्व की ओर

प्रणोदन (propulsion), इलेक्ट्रॉनिक्स, एवियोनिक्स और संरचनाओं जैसे क्षेत्रों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच सह-विकास साझेदारियाँ बनाकर हम एक आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा योग्य रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बना सकते हैं.

सिर्फ उत्पाद नहीं, क्षमताएं बनाएं

भारत को केवल उत्पाद निर्माण पर नहीं, बल्कि प्रौद्योगिकी क्षमताओं के विकास पर ध्यान देना चाहिए. अनुसंधान एवं विकास में निवेश, और शोध संस्थानों, डीपीएसयू, निजी कंपनियों और शिक्षा जगत के बीच सहयोग से नवाचार को बल मिलेगा. इसरो का मॉडल, जहां निजी कंपनियाँ जटिल इंजन और उप-प्रणालियाँ बनाती हैं, एक सफल उदाहरण है जिसे रक्षा क्षेत्र में अपनाया जा सकता है.

सहयोग आधारित नीतिगत ढाँचा

एक मजबूत नीति ढांचा, जो वित्तीय सहायता, तकनीकी भागीदारी और उत्पादन क्षमताओं में विस्तार सुनिश्चित करे, आवश्यक है. वायबिलिटी गैप फंडिंग, R&D अनुदान, और स्थानीय निर्मित प्रणालियों के लिए निश्चित ऑर्डर जैसी योजनाएं निजी निवेश को बढ़ावा देंगी.



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read