सपा प्रमुख अखिलेश यादव
Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव जारी है. इस बार सात चरणों में चुनाव हो रहे हैं और चार चरणों के लिए वोटिंग भी हो चुकी है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा मिलकर चुनाव लड़ रही हैं तो वही मिशन-80 को पूरा करने के लिए भाजपा भी तमाम प्रयास कर रही है.
इसी बीच लोनिया चौहान बिरादरी की राजनीति करने वाली जनवादी पार्टी के अध्यक्ष संजय चौहान ने भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर अखिलेश का सिरदर्द बढ़ा दिया है. माना जा रहा है कि इससे चुनाव में भाजपा को बड़ा फायदा मिल सकता है. मंगलवार (14 अगस्त) को पार्टी के अध्यक्ष संजय चौहान ने वाराणसी में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को समर्थन देने संबंधी पत्र सौंपा है.
पूर्वांचल में जातीय समीकरण साधने के लिए बीजेपी हर तरह का गुणा-भाग कर रही है. हालांकि भाजपा को तमाम छोटे-छोटे दलों जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में राजभर, पटेल और निषाद बिरादरी की राजनीति करते हैं, का साथ पहले ही मिल चुका है. ये दल पहले ही एनडीए का हिस्सा हैं तो वहीं जनवादी पार्टी के भाजपा में शामिल होना उसकी बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि पूर्वांचल में लोनिया चौहान जाति के मतदाताओं का काफी प्रभाव है.
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क्यों छोड़ दिया अखिलेश का साथ
यूपी की राजनीति में चर्चा है कि संजय सपा से घोसी लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने वहां से राजीव राय को मैदान में उतार दिया, इसी वजह से वह अखिलेश से नाराज चल रहे थे. इसके बाद सपा से गठबंधन तोड़कर संजय चौहान ने पूर्वांचल की 11 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन अब उन्होंने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी और अपने सभी प्रत्याशियों को चुनावी मैदान से हटाने का भी फैसला लिया है.
भाजपा उम्मीदवार से हार गए थे चुनाव
गौरतलब है कि जनवादी पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 17 और 2017 के विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे. इस दौरान पार्टी को करीब दो प्रतिशत वोट मिले थे. तो वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन में शामिल सपा के टिकट पर संजय चौहान ने चंदौली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह भाजपा के महेंद्र नाथ पांडेय से मात्र 13,959 मतों के अंतर से हार गए थे.
संजय ने किया ये दावा
सपा का साथ छोड़ने के बाद संजय ने कहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें चुनाव बाद सम्मानजनक समायोजन का आश्वासन दिया है. उन्होंने दावा किया कि उनका समर्थन मिलने के बाद भाजपा को बड़ा फायदा होगा तो वहीं सपा का पूर्वांचल में बड़ा नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि गोरखपुर, आजमगढ़ व वाराणसी तीनों मंडलों में लोनिया चौहान बिरादरी के मतदाता हैं. अगर उनकी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव लड़ते तो उसका फायदा सपा को मिल सकता था, इसलिए उन्होंने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की है.
सुभासपा ने पहले ही छोड़ दिया था साथ
बता दें कि इससे पहले प्रदेश की राजभर जाति का राजनीति करने वाले सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने सपा का साथ छोड़ दिया था. 2022 के विधानसभा चुनाव में राजभर और संजय चौहान सपा के साथ गठबंधन में थे.
माना जाता है कि इनके गठबंधन में होने की वजह से ही सपा को आंबेडकरनगर, आजमगढ़, बलिया, मऊ, गाजीपुर, भदोही और कुशीनगर में लाभ मिला. हालांकि प्रदेश में सपा की सरकार न बनने के बाद ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश का साथ छोड़ दिया था तो वहीं अब संजय चौहान ने भी किनारा कर लिया है. अपना दल (एस) और निषाद पार्टी का भी साथ बीजेपी के पास है.
40 लाख हैं लोनिया चौहान बिरादरी के मतदाता
पूर्वांचल की वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, घोसी, आंबेडकरनगर, बलिया, मिर्जापुर, भदोही, सलेमपुर, कुशीनगर और देवरिया आदि लोकसभा सीटों पर लोनिया चौहान जाति के वोटर्स का बड़ा प्रभाव है. आंकड़ों की मानें तो यूपी में करीब 40 लाख लोनिया चौहान बिरादरी के वोटर्स हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में इनकी लगभग 2.33 प्रतिशत भागीदारी मानी गई है.
-भारत एक्सप्रेस