लोकसभा चुनाव
Lok Sabha Election-2024: लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार रैली कर रहे हैं तो वहीं अन्य राजनीतिक दलों के ब्रांड चेहरे भी लगातार जनता के पास जाकर वोट देने की अपील कर रहे हैं.
इसी बीच एक चौंका देने वाली खबर सामने आ रही है. दरअसल देश का एक ऐसा गांव सामने आया है जहां आजादी के बाद पहली बार वोट पड़ने जा रहा है. तो वहीं उत्तराखंड के 24 ऐसे गांवों की भी चर्चा तेज है जहां आजादी के बाद पहली बार मतदान नहीं होगा. इन दोनों खबरों की वजह भी अलग-अलग बताई जा रही है.
एक साल पहले ही सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के चंगुल से बूढ़ा पहाड़ को कराया था आजाद
झारखंड के गढ़वा के बूढ़ा पहाड़ के लोग आजादी के बाद पहली बार 16वीं लोकसभा चुनाव में वोट डालेंगे. यहां के लोगों को जिले के डीसी और एसपी जागरुक करने में जुटे हैं. तो वहीं यहां के लोगों में भी वोट डालने को लेकर उत्साह साफ दिखाई दे रहा है.
बता दें कि बूढ़ा पहाड़ अभी तक नक्सलियों के चंगुल में था और यही वजह थी कि यहां के लोग वोट डालने से डरते थे. साल भर पहले ही सुरक्षा बलों ने इस क्षेत्र को नक्सलियों के चंगुल से आजाद कराया था. यहां 13 मई को वोट पड़ेगे. इसको देखते हुए यहां पर स्थानीय प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी है.
चुनाव आयोग ने डीसी और एसपी को यहां के लिए खास निर्देश भी दिए हैं. तो वहीं अब यहां के बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल भी जाने लगे हैं. लोग इस बदलाव को लेकर खुश हैं. इस इलाके को लेकर डीसी ने कहा कि अब यहां पर विकास कार्य कराए जा रहे हैं. पहली बार हो रहे लोकसभा चुनाव को देखते हुए खास सुरक्षा व्यवस्था की गई है. यहां पर 24 घंटे सुरक्षा जवानों का पहरा रहता है.
उत्तराखंड के 24 गांवों को किया गया निर्जन घोषित
भारत की आजादी के बाद पहली बार ऐसा हो होने जा रहा है कि इस बार के चुनाव में उत्तराखंड के 24 गांव वोट नहीं डालेंगे. दरअसल इन गांवों को निर्जन घोषित कर दिया गया है. यानी इन गांवों में अब कोई नहीं रहता.
बता दें कि फरवरी 2023 में पलायन आयोग की रिपोर्ट सामने आई थी. इस के मुताबिक, 2018 से लेकर 2022 तक प्रदेश की 6436 ग्राम पंचायतों में अस्थायी रूप से पलायन हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार के लिए करीब 3 लाख से अधिक लोग गांव छोड़कर चले गए. हालांकि बीच-बीच में लोग अपने पैतृक जगहों को देखने के लिए आते हैं.
इसी तरह से प्रदेश के 2067 ग्राम पंचायतों से लोगों ने स्थायी रूप से भी पलायन किया. यानी गांव छोड़कर गए फिर नहीं लौटे. तो वहीं तमाम लोगों ने अपनी पुस्तैनी जमीनें बेच भी दीं. तमाम लोग बंजर भूमि की वजह से गांव छोड़कर चले गए.
रिपोर्ट के मुताबिक अल्मोड़ा जिले सबसे अधिक 80 ग्राम पंचायतें वीरान हो गईं. इस तरह से 2018 से लेकर 2022 तक प्रदेश के करीब 24 गांव पूरी तरह से आबादी रहित हो गए. ये गांव टिहरी, अल्मोड़ा, चम्पावत, पौढ़ी गढ़वाल, चमौली और पिथौरागढ़ जिले के हैं. इस बार यानी 16वें लोकसभा चुनाव में इन गांवों में वोट डालने वाला कोई नहीं है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक इन गांवों में इस बार न तो पोलिंग बूथ बनेंगे और न ही राजनीतिक दल चुनाव प्रचार करने के लिए जाएंगे.
-भारत एक्सप्रेस