Aamir Khan In Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए कोर्ट परिसर में फिल्म ‘लापता लेडीज’ की स्पेशल स्क्रीनिंग को लेकर पर बॉलीवुड एक्टर आमिर खान कोर्ट पहुंचे. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उनका स्वागत किया. एक्टर कोर्ट रूम एक में स्पेशल विजिटर गैलरी में बैठे नजर आए.
आमिर खान उस समय अदालत में पहुंचे, जब सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की तीन जजों की बेंच सशस्त्र बलों में महिलाओं को बढ़ावा देने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश होकर कहा कि आज का दिन ‘स्टार-स्टडेड कोर्ट’ है. यानी आज की अदालत में कई प्रसिद्ध लोग शामिल हैं.
प्रशासनिक भवन परिसर के सी-ब्लॉक में स्क्रीनिंग
गुरुवार देर रात सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी एक नोटिस में कहा गया, “भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना के 75वें साल के दौरान आयोजित कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में लैंगिक समानता के विषय पर आधारित फिल्म ‘लापता लेडीज’ नौ अगस्त को प्रशासनिक भवन परिसर के सी-ब्लॉक स्थित ऑडिटोरियम में प्रदर्शित की जाएगी.”
फिल्म देखने के लिए रजिस्ट्री के अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया.
1 मार्च को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी यह फिल्म
बता दें कि ‘लापता लेडीज’ एक मार्च को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी. यह किरण राव द्वारा निर्देशित और आमिर खान और ज्योति देशपांडे द्वारा निर्मित है. यह फिल्म आमिर खान प्रोडक्शंस और किंडलिंग प्रोडक्शंस के बैनर तले बनाई गई है. इसमें रवि किशन थानेदार दारोगा के किरदार में हैं. वहीं, नितांशी गोयल दुल्हन फूल और प्रतिभा रांता दूसरी दुल्हन पुष्पा के किरदार में हैं. इनके अलावा, स्पर्श श्रीवास्तव दीपक के किरदार में नजर आए.
दो दुल्हनों फूल और पुष्पा के इर्द-गिर्द घूमती कहानी
कहानी दो दुल्हनों फूल और पुष्पा के इर्द-गिर्द घूमती है. सूरजमुखी गांव में रहने वाले दीपक अपनी दुल्हन फूल को लेकर अपने घर जाता है. वह जिस ट्रेन में चढ़ता है, उसमें पहले ही ही कई और शादीशुदा जोड़े बैठे होते हैं. सभी के लाल जोड़े और लंबे घूंघट की वजह से वह दूसरी दुल्हन पुष्पा को घर लेकर आ जाता है. जब इस बात का पता चलता है तो वह अपनी पत्नी फूल को ढूंढने के लिए पुलिस थाने में दारोगा के पास रिपोर्ट भी दर्ज कराता है. वहीं, दूसरी तरफ पुष्पा का पति उसके खिलाफ गहने चोरी कर भाग जाने की रिपोर्ट दर्ज करा देता है.
यह फिल्म कई मुद्दों को उठाती है. घूंघट सम्मान का प्रतीक है, इस तरह की पितृसत्तात्मक सोच पर वार करती है.
— भारत एक्सप्रेस
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