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सतीश कौशिक संग बिताए पलों को मिस कर रहे Anupam Kher, दिखाई दोस्ती के 47 साल की झलक

सतीश कौशिक की अचानक मौत ने हर किसी को सदमे में पहुंचा दिया था. अनुपम खेर तो बुरी तरह सदमे में थे. लेकिन अब वह अपने जिगरी यार को बहुत मिस कर रहे हैं. ऐसे में अभिनेता ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा कर अपने दर्द को बयां किया है.

Anupam Kher is missing the moments spent with Satish Kaushik

सतीश कौशिक संग बिताए पलों को मिस कर रहे अनुपम खेर

Satish Kaushik and Anupam Kher: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अनुपम खेर को अपने खास दोस्त और दिवंगत अभिनेता सतीश कौशिक को खोने के गम में है. अपनी दमदार एक्टिंग और कॉमेडी से सबके दिल जीतने वाले सतीश कौशिक का 9 मार्च को हार्ट अटैक से निधन हो गया था. सतीश कौशिक की अचानक मौत ने हर किसी को सदमे में पहुंचा दिया था. अनुपम खेर तो बुरी तरह सदमे में थे. लेकिन अब वह अपने जिगरी यार को बहुत मिस कर रहे हैं. ऐसे में अभिनेता ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा कर अपने दर्द को बयां किया है.

दिखाई दोस्ती के 47 साल की झलक

अभिनेता अनुपम खेर अक्सर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक से बढ़कर एक पोस्ट साझा करते रहते हैं. इस बीच उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, “मेरी और सतीश की इन दो तस्वीरों में 47 साल साथ बिताई जिंदगी का अंतर है. ऊपर वाली तस्वीर 1978 में मंचित नाटक ‘लॉन्ग डेज जर्नी इनटू नाइट’ की है और नीचे वाली तस्वीर फिल्म ‘इमरजेंसी’ की शूटिंग के दौरान की है. ”

खेर ने सतीश संग बिताए पलों को किया याद

अभिनेता ने सतीश कौशिक के साथ बिताए पलों को खूबसूरत तरीके से बताते हुए लिखा, “तस्वीरें भले ही ब्लैक एंड व्हाइट हैं लेकिन हमारे ये साथ गुजरे साल इंद्रधनुष के रंगों से ज्यादा रंगीन थे! कमबख्त बहुत जल्दी चला गया सतीश कौशिक! तुम्हें और तुम्हारे साथ बिताए पलों को बहुत मिस करता हूं.”

 

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अनुपम खेर ने कश्मीर घाटी में हुए दुर्घटना को किया याद

अभिनेता ने इससे पहले एक वीडियो साझा किया था, जिसमें खेर कश्मीर घाटी में 90 के दशक में हिंदुओं के पलायन की दर्दनाक घटना को याद करते हुए एक कविता सुनाई. भावुक कविता के एक-एक शब्द में विस्थापितों का दर्द छलका. कविता सुनाते हुए अनुपम खेर की आंखें भी भर आईं. अनुपम खेर ने कवि और फिल्म लेखिका सुनयना काचरू की एक कविता सुनाई थी. सुनयना काचरू भी विस्थापित कश्मीरी पंडित हैं.

दिल छूने वाली एक कविता लिखी

अनुपम खेर ने कैप्शन में लिखा था, “19 जनवरी, 1990 कश्मीरी हिंदुओं का पलायन दिवस. 35 साल हो गए हैं, जब 5,00,000 से ज्यादा हिंदुओं को उनके घरों से बेरहमी से निकाल दिया गया था. वे घर अभी भी वहीं हैं, लेकिन उन्हें भुला दिया गया है. वे खंडहर हैं. इस त्रासदी की शिकार सुनयना काचरू ने उन घरों की यादों के बारे में दिल छूने वाली एक कविता लिखी. कविता की ये पंक्तियां उन सभी कश्मीरी पंडितों को वह मंजर याद दिला देंगी, जो इस भीषण त्रासदी के शिकार हुए थे. यह दुखद और सत्य दोनों है.”

 

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अनुपम खेर का वर्कफ्रंट

कश्मीरी पंडितों के घर शीर्षक वाली कविता को अनुपम खेर ने पढ़ा, जिसमें डल झील, केसर की महक, पश्मीना शॉल और झेलम का जिक्र था. अनुपम खेर के वर्कफ्रंट की बात करें तो अभिनेता इन दिनों कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ में अपने अभिनय से चर्चा में हैं, जिसमें उन्होंने जयप्रकाश नारायण का किरदार निभाया है.

-भारत एक्सप्रेस 



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