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Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या के दिन हेमा मालिनी ने लगाई त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी, बोलीं- ‘ये मेरा सौभाग्य है…’

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 के मौनी अमावस्या के दिन बीजेपी सांसद और जानी मानी एक्ट्रेस हेमा मालिनी ने त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान किया.

Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 के मौनी अमावस्या के दिन बीजेपी सांसद और जानी मानी एक्ट्रेस हेमा मालिनी ने त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान किया. इस अवसर पर उनके साथ जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज और योग गुरु बाबा रामदेव भी उपस्थित थे और उन्होंने भी पवित्र स्नान किया. ये अवसर उनके लिए बेहद खास था और उन्होंने इसे सौभाग्य मानते हुए मीडिया से कहा, ‘ये बहुत ही अच्छा अनुभव है कि इतने करोड़ों लोग यहां आए हैं और मुझे भी यहां स्नान का अवसर मिला. धन्यवाद.’

महाकुंभ में शाही स्नान के दौरान मची भगदड़ (Mahakumbh 2025)

मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में शाही स्नान होना था, लेकिन इस दिन भगदड़ मच गई. रात करीब 1 बजे महाकुंभ के स्नान घाटों पर भारी भीड़ के कारण भगदड़ का नजारा देखने को मिला. इस भगदड़ में कई लोग घायल हो गए और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 10 लोगों की मौत भी हो गई. भीड़ के इस उतावलेपन के कारण अमृत स्नान को रद्द कर दिया गया था. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने स्नान का समय स्थगित कर दिया और भीड़ कम होने का इंतजार किया. इसके बाद कुंभ स्नान जारी रहा और स्थिति सामान्य हो गई.

हेमा मालिनी का सनातन धर्म पर बयान

महाकुंभ में पवित्र स्नान के बाद, हेमा मालिनी सनातन धर्म संसद में पहुंची, जहां कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर के नेतृत्व में वो उपस्थित हुईं. इस मौके पर उन्होंने सनातन धर्म को लेकर कहा, ‘कुछ अज्ञानी लोग हैं जो हमारे सनातन धर्म और सनातनियों के बारे में गलत बातें कहते हैं. सनातन धर्म दुनिया का एकमात्र धर्म है जो सभी धर्मों का स्वागत करता है. यह किसी भी धर्म का विरोध नहीं करता, चाहे वह मुस्लिम हो या ईसाई.’

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महाकुंभ में श्रद्धालुओं का जोश और श्रद्धा (Mahakumbh 2025)

वहीं महाकुंभ 2025 में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी थी, जो गंगा नदी में स्नान करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए आए थे. हालांकि भगदड़ की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था की चुनौती को उजागर किया, फिर भी प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित किया और स्नान को जारी रखा. ये दिन महाकुंभ के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन बना, जिसमें लाखों लोगों ने धार्मिक आस्था और श्रद्धा के साथ हिस्सा लिया.



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