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EVM के वेरिफिकेशन से संबंधित दायर याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट ने किया निपटारा

सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम वेरिफिकेशन याचिका निपटाई. एडीआर ने मांगा था बर्न्ट मेमोरी जांच प्रोटोकॉल. कोर्ट ने ईसीआई से स्पष्ट एसओपी बनाने को कहा, दूसरे-तीसरे उम्मीदवार 7 दिन में जांच मांग सकते हैं.

Supreme Court
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

ईवीएम के वेरिफिकेशन से संबंधित दायर याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है. यह याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) सहित अन्य की ओर से दायर की गई थी. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच के चुनाव आयोग की ओर से दायर जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए याचिका का निपटारा कर दिया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से आयोग को ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी की जांच के लिए स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाने को कहा था.

नए एसओपी के तहत चुनाव रिजल्ट आने के एक सप्ताह के भीतर दूसरे या तीसरे नंबर पर कर रहे प्रत्याशी मेमोरी की जांच की मांग कर सकेंगे. इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसीआईअल) के इंजीनियर मशीन की जांच करेंगे. यह इंजीनियर सर्टिफिकेट देंगे कि मशीन का माइक्रो सॉफ्टवेयर और मेमोरी सही है या नही. एडीआर की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग के मौजूदा स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) में ईवीएम की बेसिक जांच और मॉक पोल्स का ही निर्देश है.

बर्न्ट मेमोरी की जांच को लेकर प्रोटोकॉल नहीं बनाया

चुनाव आयोग ने अब तक बर्न्ट मेमोरी की जांच को लेकर प्रोटोकॉल नहीं बनाया है. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ईसीआई एसओपी केवल ईवीएम के सत्यापन के लिए मॉक पोल आयोजित करता है.

जबकि याचिकाकर्ता का मानना है कि किसी को ईवीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जांच करनी चाहिए ताकि पता चल सके कि मशीन में किसी प्रकार की छेड़छाड़ की आशंका है या नही. वही चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि अप्रैल 2024 में कोर्ट ने जो फैसला दिया था उसका उद्देश्य ईवीएम में मतदान डेटा को मिटाना या फिर से अपलोड करना नहीं था.

बता दें कि 26 मार्च 2024 को दिए इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि परिणाम आने के एक सप्ताह के भीतर दूसरे या तीसरे नंबर का उम्मीदवार दोबारा जांच की मांग कर सकता है. ऐसे में इंजीनियरों की टीम किसी 5 माइक्रो कंटोलर की बर्न्ट मेमोरी की जांच करेगी. इस जांच का खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा. अगर गड़बड़ी साबित हुई तो उम्मीदवार को पैसा वापस मिल जाएगा.

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-भारत एक्सप्रेस



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