
Enemy Property Act: बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान इन दिनों एक पुराने कानून की वजह से चर्चा में हैं, जिसे ‘शत्रु संपत्ति कानून’ कहा जाता है. ये कानून उस समय बना था जब भारत और पाकिस्तान के रिश्ते ठीक नहीं थे और कई लोगों ने भारत छोड़कर पाकिस्तान की नागरिकता ले ली थी.
ऐसे लोगों की भारत में जो भी प्रॉपर्टी थी, उसे सरकार ने ‘शत्रु संपत्ति’ मान लिया था. अब यही कानून सैफ अली खान के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है.
दरअसल मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के एक पुराने आदेश को रद्द कर दिया है, इस आदेश में एक्टर सैफ अली खान, मां शर्मिला टैगोर और बहनें सोहा और सबा अली खान को भोपाल स्थित नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति का उत्तराधिकारी माना गया था.
भारत सरकार ने सैफ अली खान की भोपाल स्थित कई पुश्तैनी संपत्तियों को शत्रु संपत्ती घोषित कर दिया है. जिसकी वजह से 15,000 करोड़की संपत्ती पर अब उनकी अधिकार संकट में है. बताया जा रहा है कि अब इस पूरे मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में फिर से नए सिरे से होगी.
क्या है शत्रु संपत्ति कानून?
साल 1968 में यह कानून इंदिरा गांधी की सरकार के समय लाया गया था. इसके तहत उन लोगों की संपत्तियां जो भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए थे, उन्हें सरकार ने जब्त कर लिया.
1965 और 11971 के युद्धों के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकंद घोषणा में सहमति हुई थी कि दोनों देश एक-दूसरे की जब्त की गई संपत्तियों को लौटाने के बारे में विचार करेंगे.
लेकिन 1971 में पाकिस्तान ने इन संपत्तियों को नष्ट कर दिया, जिसके बाद भारत ने भी इन संपत्तियों को अपने नियंत्रण में रखने का फैसला किया.
इस तरह की संपत्तियों को ‘शत्रु संपत्ति’ कहा गया. इन संपत्तियों पर अब कोई दावा नहीं कर सकता और यह सरकार के पास रहती हैं. भारत में ऐसी हजारों संपत्तियां हैं, जिनकी कुल कीमत करीब 15,000 करोड़ रुपये बताई जाती है.
सैफ अली खान कैसे जुड़े इस कानून से?
सैफ अली खान के पैतृक घर से जुड़ी एक बड़ी प्रॉपर्टी इस कानून की जद में आ गई है. उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी के रिश्तेदारों में से कुछ पाकिस्तान चले गए थे, जिसकी वजह से सरकार ने उस प्रॉपर्टी को शत्रु संपत्ति मान लिया.
कहा जा रहा है कि इस प्रॉपर्टी की कीमत करोड़ों में है, लेकिन सैफ कानूनी रूप से इस पर दावा नहीं कर सकते.
सरकार का रुख और सख्ती
सरकार ने इस कानून को और सख्त बनाते हुए 2017 में एक संशोधन (अमेंडमेंट) किया. इसके बाद अब ऐसे मामलों में अदालतों में भी ज्यादा राहत नहीं मिलती.
यानी अगर कोई वारिस भी है, लेकिन उसका संबंध उस व्यक्ति से है जो पाकिस्तान या चीन गया था, तो वह भी इस संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता. सैफ की दिक्कत भी इसी वजह से बढ़ी है.
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-भारत एक्सप्रेस
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