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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में रहस्यमय परिस्थितियों में 8 हाथियों की मौत, 100 से अधिक अधिकारी जांच में जुटे

मरने वालों में 7 मादा हाथी और एक नर हाथी है. सभी मादा हाथियों की उम्र लगभग 3 सााल है. जबकि नर हाथी की उम्र 4-5 साल के आसपास थी. हाथियों के मौतों के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है. अधिकारी मौतों का कारण जहर है या नहीं इसकी भी जांच कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (BTR) में हाथियों की मौत का सिलिसला लगातार जारी है. पहले 4 हाथियों के मौत के बाद अब 4 और हाथियों के मरने की खबर है. मध्य प्रदेश वन्यजीव विभाग ने बताया कि मंगलवार (29 अक्टूबर) को बीमार पड़े चार और हाथियों की मौत हो गई. बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में अब तक कुल 8 हाथियों की मौत (BTR Elephant Death) हो चुकी है, जिसमें 7 मादा हाथी और एक नर हाथी है. मरने वाले सभी मादा हाथियों की उम्र लगभग 3 सााल है. जबकि नर हाथी की उम्र 4-5 साल के आसपास थी. हाथियों के मौतों के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है. अधिकारी मौतों का कारण जहर है या नहीं इसकी भी जांच कर रहे हैं.

झुंड में थे 13 हाथी

मंगलवार को बीटीआर के गश्ती दल ने खितौली और पतौर कोर रेंज के सलखनिया बीट में स्थित संरक्षित वन अभ्यारण्य में चार मृत हाथियों को पाया था. पांच अन्य गंभीर रूप से बीमार हाथी जमीन पर पड़े थे. बुधवार को इनमें से चार हाथियों की इलाज के दौरान मौत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि हाथियों के झुंड में 13 सदस्य थे, जिसमें चार स्वस्थ हैं और एक का इलाज चल रहा है.

हाथियों की मौत में जहर का एंगल भी

एक अधिकारी ने बताया कि “इस बात की जांच की जा रही है कि क्या हाथियों की मौत जहर का मामला था. ऐसे कुछ संकेत मिले हैं, लेकिन हम केवल तभी कुछ कह सकते हैं जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाए. हम यह भी आकलन कर रहे हैं कि क्या यह आकस्मिक मौत थी, क्योंकि मौके पर कुछ कोदो के बीज पाए गए थे. हम यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या हाथियों ने कोदो के बीज खा लिया और उनकी मौत हो गई. हम आस पास के लोगों से पूछताछ कर रहे हैं कि क्या उनकी हाथियों के साथ पहले कभी कोई संघर्ष हुआ था, जिसने इस घटना में कोई भूमिका निभाई हो.” अधिकारी हाथियों के शव मिलने के 5 किलोमीटर के दायरे में अपनी जांच कर रहे हैं.

टाइगर रिजर्व के 100 से अधिक कर्मचारी जांच में लगे

एक अधिकारी ने कहा, “वन विभाग और टाइगर रिजर्व के 100 से अधिक कर्मचारी मौजूद हैं. एक विशेष टाइगर स्ट्राइक फोर्स, जिसका नेतृत्व उसके प्रमुख और एक डॉग स्क्वायड द्वारा किया जा रहा है, ने जांच के हिस्से के रूप में क्षेत्र की तलाशी ली है.” जांच दल ने अब तक आस-पास के खेतों और फसलों की जांच की है, हाथियों के पीने के पानी के स्रोतों की भी जांच की है. हाथी जहां खेलते थे एक ऐसे  पानी के गड्ढे की भी जांच की है. जहर की संभावना तलाशने के लिए जांच के दौरान कोदो-कुटकी फसल का निरीक्षण किया गया है. इसके अलावा हाथियों के गोबर के नमूने और आसपास के मिट्टी और पौधों के नमूने भी लिए हैं.

वन मंत्री के निर्देशों के बाद उच्च स्तरीय समिति का गठन

हाथियों की मौत को लेकर एक हाई लेवल कमेटी गठित की गई है, जो कि एस मामले की गहनता से जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी. वन्यजीव विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “समिति का काम मौतों की परिस्थितियों की विस्तृत जांच करना है. वे स्थानीय अधिकारियों द्वारा हाथियों की मौत के बाद किए गए उपायों का भी मूल्यांकन करेंगे. समिति को निष्कर्ष साथ अपनी रिपोर्ट देने के लिए दस दिनों का समय दिया गया है.”

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 2018 में लगभग 15-20 हाथियों का पहला झुंड देखा गया था. 2018 में छत्तीसगढ़ से पलायन कर हाथियों का झुंड यहां आ गया था. यहां हाथी अब स्थायी निवासी हैं और उन्हें रिजर्व के कोर और बफर क्षेत्रों में देखा जा सकता है.

हाथियों की आबादी 10% कम हो गई

वरीष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ( Congress Jairam Ramesh) ने घटना को लेकर एक्स पर लिखा, “बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में 7 हाथियों की मौत और 2 या 3 की हालत गंभीर होने की ख़बर बेहद चौंकाने वाली है. इससे बांधवगढ़ में एक ही झटके में हाथियों की आबादी 10% कम हो गई है. इसकी तुरंत पूरी जांच होनी चाहिए और सुरक्षात्मक उपाय किए जाने चाहिए.”

-भारत एक्सप्रेस



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