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“कहां हैं सेक्युलरिज्म के सारे सूरमा?” शिमला मस्जिद विवाद पर आचार्य प्रमोद कृष्णम बोले- मोहब्बत के सारे दुकानदार खामोश हैं

30 अगस्त को मस्जिद के आसपास के इलाके में एक व्यापारी पर हमला हुआ था. इस दौरान लोगों ने मस्जिद को गिराने की मांग की.

Acharya Pramod Krishnam

आचार्य प्रमोद कृष्णम.

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद विवाद हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी. इस बीच आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रविवार को शिमला मस्जिद मामले पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाए.

“मोहब्बत के सारे दुकानदार खामोश हैं”

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव से एक्स पर सवाल पूछा. उन्होंने लिखा, “हिमाचल में कांग्रेस के मंत्री शिमला की “मस्जिद” ढहाने की बात कर रहे है, लेकिन अगर आज वहां भाजपा की सरकार होती तो सेक्युलरिज्म के सारे सूरमा देश को दंगों की आग में झोंक देते. अब क्योंकि वहां कांग्रेस की हुकूमत है, इसलिए राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक मोहब्बत के सारे दुकानदार खामोश हैं.”

व्यापारी पर हमले के बाद बढ़ा विवाद

बता दें कि बीते 30 अगस्त को मस्जिद के आसपास के इलाके में एक व्यापारी पर हमला हुआ था. इस दौरान लोगों ने मस्जिद को गिराने की मांग की. इसके बाद 5 सितंबर को मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और मस्जिद को अवैध बताया.

प्रदर्शनकारियों में भाजपा कार्यकर्ता और हिंदूवादी संगठनों के सदस्य शामिल थे. उन्होंने दावा किया कि मस्जिद को अवैध रूप से बनाया गया और इसकी चार मंजिलों का कथित तौर पर निर्माण किया गया. इसके बाद ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया.

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हालांकि, हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड ने शनिवार को शिमला की एक अदालत में कहा कि यह मस्जिद उसकी जमीन पर बनी है, लेकिन इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है कि मस्जिद में अतिरिक्त चार मंजिलों का निर्माण किसने करवाया है.

सरकारी भूमि पर मस्जिद बनाने का आरोप

इस मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि राज्य के सभी निवासियों के समान अधिकार हैं और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा, “शांतिपूर्ण विरोध की अनुमति है, लेकिन किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी.” वहीं, विधायक अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि मस्जिद सरकारी जमीन पर बनाई गई थी और यह मामला पिछले 14 सालों से कोर्ट में विचाराधीन है.

भारत एक्सप्रेस

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