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अडानी समूह वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन में निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका, WEF ने घोषणा की

APSEZ ने 2025 तक सभी बंदरगाह संचालन में 100% नवीकरणीय बिजली का उपयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसका व्यापक लक्ष्य 2040 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना है.

Adani group

अडानी समूह वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन में निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने घोषणा की है कि अडानी पोर्टफोलियो की तीन प्रमुख कंपनियाँ- अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL), अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ), और अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड- इसकी ‘ट्रांज़िशनिंग इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स’ पहल में शामिल होंगी.

ये कंपनियां नवगठित अडानी मुंद्रा क्लस्टर के तहत सहयोग करेंगी, जिसका उद्देश्य 2050 तक आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन और वैश्विक डीकार्बोनाइज़ेशन प्रयासों को बढ़ावा देना है.

1993 में अपनी स्थापना के बाद से, मुंद्रा एक बंदरगाह व्यवसाय से भारत के सबसे बड़े बंदरगाह-आधारित औद्योगिक क्लस्टर में विकसित हुआ है. अब यह उन्नत सौर मॉड्यूल और पवन टरबाइन विनिर्माण और सीमेंट उत्पादन सहित उद्योगों के लिए एक गतिशील केंद्र के रूप में कार्य करता है, ऐसे क्षेत्र जिन्हें डीकार्बोनाइज करना बेहद मुश्किल है.

2050 तक नेट जीरो तक पहुंचने का लक्ष्य

APSEZ ने 2025 तक सभी बंदरगाह संचालन में 100% नवीकरणीय बिजली का उपयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसका व्यापक लक्ष्य 2040 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना है. इस बीच, मुंद्रा में अंबुजा की आगामी सीमेंट इकाई दुनिया की सबसे कम उत्सर्जन-तीव्रता वाला सीमेंट संयंत्र बनने के लिए तैयार है, जो 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुँचने के अपने लक्ष्य में योगदान देगा.

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अडानी मुंद्रा क्लस्टर भी दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत ग्रीन हाइड्रोजन हब में से एक बनने की राह पर है, जिसकी अनुमानित क्षमता 2030 तक प्रति वर्ष 1 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन होगी, जो 2040 तक 3 मिलियन टन तक बढ़ जाएगी. इस हब को उन्नत बंदरगाह बुनियादी ढांचे के साथ-साथ 10 गीगावाट सौर मॉड्यूल, 5 गीगावाट पवन टर्बाइन और 5 गीगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण क्षमता द्वारा समर्थित किया जाएगा.

-भारत एक्सप्रेस



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