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पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से दूर निकला Aditya-L1, अब तक तय कर चुका है इतने लाख किलोमीटर का सफर

आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान सूर्य का अध्ययन करने के लिए कुल सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और शेष तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे.

Aditya-L1

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Aditya-L1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को कहा कि आदित्य एल-1 पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक बचकर आगे निकल गया है. इसरो के मुताबिक, आदित्य एल 1 पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है. अब यह सन-अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) की ओर अपना रास्ता तलाश रहा है. यह लगातार दूसरी बार है कि इसरो किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर भेज सका है. पहली बार इसरो ने यह कारनामा मंगल मिशन के दौरान किया था.

7 पेलोड साथ ले जा रहा है आदित्य एल 1

आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान सूर्य का अध्ययन करने के लिए कुल सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और शेष तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे. आदित्य-एल1 को लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है. यह सूर्य के चारों ओर उसी सापेक्ष स्थिति में चक्कर लगाएगा और इसलिए लगातार सूर्य को देख सकता है.

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सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थापित किया जाएगा ‘आदित्य’

आदित्य एल1 की लॉन्चिंग से पहले इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने कहा था, “हमारा आदित्य L1 उपग्रह सूर्य का अध्ययन करने के लिए जा रहा है. L1 बिंदु तक पहुंचने में इसे 125 दिन लगेंगे. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मिशन है. लॉन्चिंग के बाद आदित्य स्पेसक्राफ्ट करीब 4 महीने में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैगरेंज पॉइंट-1 यानी L1 पॉइंट तक पहुंचेगा. वह वहां L1 पॉइंट के चारों ओर घूमकर सूर्य पर उठने वाले तूफानों को समझेगा.”

बता दें कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष यान आदित्य एल-1 को 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. अंतरिक्ष में भारत की उड़ान लगातार बढ़ रही है. हाल ही में इसरो ने चंद्रयान 3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड कराकर इतिहास रच दिया था. चांद के उस ओर भारत के अलावा आज तलक कोई भी देश नहीं पहुंच पाया है. भारत का लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ने चांद पर कई खनिजों की खोज की है.

-भारत एक्सप्रेस

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