
केरल में दो बच्चों की रेबीज से मौत के बाद तमिलनाडु के सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा निदेशालय ने राज्यभर के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को सतर्क कर दिया है. निदेशालय ने एक सख्त एडवाइजरी जारी करते हुए सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को कुत्ते के काटने के मामलों में तुरंत और सही इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.
रेबीज एक जानलेवा वायरल बीमारी है जो संक्रमित जानवर के काटने या खरोंच से फैलती है. सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक डॉ. टीएस सेल्वाविनायगम ने बताया कि एक बार लक्षण शुरू हो जाएं तो मरीज की जान बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है. इसलिए समय पर इलाज ही इसका एकमात्र उपाय है.
एडवाइजरी में कहा गया है कि कुत्ते के काटने के बाद सबसे पहला और जरूरी कदम है घाव को कम से कम 15 मिनट तक साबुन और पानी से धोना. इसके बाद तुरंत पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) शुरू करना चाहिए, जिसमें रेबीज वैक्सीन (ARV) और गंभीर मामलों में रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन (RIG) देना जरूरी होता है.
स्वास्थ्य विभाग ने कुत्ते के काटने की गंभीरता के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटने के निर्देश दिए हैं:
श्रेणी I: सिर्फ छूने या साफ त्वचा पर चाटने पर कोई इलाज जरूरी नहीं.
श्रेणी II: मामूली खरोंच या बिना खून के घाव में वैक्सीन देना जरूरी.
श्रेणी III: खून निकलने वाले घाव या टूटी त्वचा पर चाटने पर वैक्सीन के साथ RIG देना अनिवार्य है.
विशेष रूप से बच्चों में रेबीज का खतरा अधिक होता है क्योंकि वे काटने की सही जानकारी नहीं दे पाते और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है. हाल ही में केरल में हुई मौतों का कारण इलाज में देरी, RIG न देना और घाव की सही सफाई न होना बताया गया है. मामला बढ़ने से अब केरल सरकार ने लगभग पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है और इससे बचने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं.
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