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ASI ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को सौंपी 2,000 पन्नों की भोजशाला सर्वे रिपोर्ट, 22 जुलाई को होगी सुनवाई

मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला परिसर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विवाद का विषय है. हिंदू समुदाय भोजशाला को सरस्वती माता का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है.

मध्य प्रदेश के धार शहर स्थित भोजशाला परिसर.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India – ASI) ने 15 जुलाई को विवादित मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित विवादित भोजशाला-कमाल-मौला मस्जिद परिसर की अपनी वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ को सौंप दी है. 22 जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई होगी.

एएसआई के वकील हिमांशु जोशी ने 2,000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को सौंपी है. जोशी ने बताया, ‘मैंने रिपोर्ट सौंप दी है. अब हाईकोर्ट 22 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा.’

क्या है मामला

बीते 4 जुलाई को हाईकोर्ट ने एएसआई को 11वीं शताब्दी के स्मारक के परिसर में लगभग तीन महीने तक चले सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करने का आदेश दिया था, जो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विवाद का विषय है. हिंदू समुदाय भोजशाला (Bhojshala) को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद (Kamal-Maula Mosque) कहता है.

हाईकोर्ट ने 11 मार्च को ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ (Hindu Front for Justice) के आवेदन पर पुरातत्व अनुसंधान और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए देश की प्रमुख एजेंसी एएसआई को परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था.

इस व्यवस्था को चुनौती

इसके बाद एएसआई को सर्वेक्षण पूरा करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया. बाद में एएसआई ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए और समय मांगा. एएसआई ने 22 मार्च को विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल ही में समाप्त हुआ.


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एजेंसी ने विवाद उत्पन्न होने के बाद स्मारक तक पहुंच के संबंध में 7 अप्रैल, 2003 को एक आदेश जारी किया था. पिछले 21 वर्षों से लागू इस आदेश के अनुसार हिंदुओं को मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को शुक्रवार को इस स्थान पर नमाज अदा करने की अनुमति है. हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है.

सर्वे में क्या मिला

एएसआई ने सर्वे के दौरान खुदाई कराई, जिसकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी की गई. साथ ही इसमें ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार (जीपीआर) और ग्लोबल पोजिशिनिंग सिस्टम (जीपीएस) की सहायता भी ली गई. इस सर्वे के दौरान एएसआई को 1700 से ज्यादा अवशेष मिले.

भोजशाला के मंदिर होने का दावा करने वाली भोजशाला मुक्ति यज्ञ के पदाधिकारी का कहा है कि सर्वे के दौरान एएसआई को जो पुरा-अवशेष मिले हैं, वह भोजशाला के मंदिर होने का प्रमाण है. जो 37 मूर्तियां मिली हैं, उनमें भगवान कृष्ण ,हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग देवी, गणेश, पार्वती, भैरवनाथ आदि देवी देवताओं की मूर्तियां शामिल है.

ASI ने क्या कहा

अदालत ने पेश सर्वे रिपोर्ट में एएसआई ने कहा, ‘सजाए गए स्तंभों और उनकी वास्तुकला से यह कहा जा सकता है कि वे पहले के मंदिरों का हिस्सा थे और बेसाल्ट के ऊंचे मंच पर मस्जिद के स्तंभों को बनाते समय उनका दोबारा इस्तेमाल किया गया था. एक स्तंभ पर देवताओं की विकृत छवियां दर्शाई गई हैं. स्तंभ के दूसरे आधार पर भी देवता की छवि दर्शाई गई है. दो स्तंभों पर खड़ी छवियों को काट दिया गया है और वे पहचान से परे हैं.’

एएसआई ने निष्कर्ष में कहा, ‘वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और पुरातात्विक उत्खनन, प्राप्त अवशेषों के अध्ययन और विश्लेषण, पुरातात्विक अवशेषों, मूर्तियों और शिलालेखों, कला और शास्त्रों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना पहले के मंदिरों के हिस्सों से बनाई गई थी.’

-भारत एक्सप्रेस

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