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राम धुन में खोई अयोध्या, पलकें बिछाकर कर रही अपने प्रभु का इंतजार, कल ‘मंगल ध्वनि’ में संतूर से लेकर देश के तमात राज्यों के खास वाद्ययंत्रों से गूंजेगी राम नगरी

राम जन्मभूमि ट्रस्ट से मिली जानकारी के अनुसार भक्ति भाव से विभोर अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रातःकाल 10 बजे से ‘मंगल ध्वनि’ का भव्य वादन होगा.

रामजन्मभूमि मंदिर परिसर..रामलला यहीं विराजमान होंगे.

संपूूर्ण विश्व के रामभक्त पलके बिछाकर उस पल का इंतजार कर रहे हैं, जब रामलला अपनी जन्मभूमि पर स्थित दिव्य और विशाल मंदिर में विराजमान होंगे. 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य कार्यक्रम के आयोजन पर सभी की निगाहें है. वहीं आयोजन से एक दिन पहले देश विदेश से मेहमानों का आगमन शुरु हो गया है. क्योंकि अब कार्यक्रम को मात्र एक दिन रह गए हैं. वहीं कल 10 बजे से मंदिर परिसर सुरीले वाद्ययंत्रों के गूंजने लगेगा.

‘मंगल ध्वनि’ सें गूंजेगी अयोध्या

राम जन्मभूमि ट्रस्ट से मिली जानकारी के अनुसार भक्ति भाव से विभोर अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रातःकाल 10 बजे से ‘मंगल ध्वनि’ का भव्य वादन होगा. 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र, विभिन्न राज्यों से, लगभग 2 घंटे तक इस शुभ घटना का साक्षी बनेंगे. अयोध्या के यतीन्द्र

मंगल ध्वनि से मंगलगान

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार को इस बात घोषणा की कि ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह मे ‘मंगल ध्वनि’ नामक एक शानदार संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. 22 जनवरी को सुबह 10 बजे संगीत की दुनिया के कुछ सबसे बड़े नाम इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.

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अनूठे वाद्ययंत्रों से गूंजेगा मंदिर

ट्रस्ट ने कहा, “विभिन्न राज्यों के अनूठे वाद्ययंत्र, दिव्य आर्केस्ट्रा में एकजुट होते हैं, भारत की सदियों पुरानी परंपराओं को अपनाने और पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर.” कार्यक्रम का एक प्रमुख पहलू पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों का वादन होगा, जैसे यूपी से पखावज, बांसुरी और ढोलक, कर्नाटक से वीणा, महाराष्ट्र से सुंदरी, ओडिशा से मर्दाला, एमपी से संतूर, मणिपुर से पुंग, असम से नगाड़ा और काली. छत्तीसगढ़ से तंबूरा, दिल्ली से शहनाई, राजस्थान से रावणहत्था, पश्चिम बंगाल से श्रीखोल और सरोद, आंध्र प्रदेश से घाटम, झारखंड से सितार, गुजरात से संतार, गुजरात से पखावज, उत्तराखंड से हुड़का, और तमिलनाडु से नागस्वरम, ताविल और मृदंगम.

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