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3 फ्लोर, 392 खंभे और 44 दरवाजे… कुछ इस तरह बन रहा है राम मंदिर

मंदिर को प्राचीन भारतीय परंपराओं के साथ आधुनिक तकनीकी सुविधाओं और वास्तु शास्त्र सिद्धांतों का पालन करते हुए मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने नागर शैली में डिजाइन किया है.

राम मंदिर

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Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर आजादी के बाद देश में निर्मित सबसे बड़े मंदिरों में से एक होगा. इस मंदिर को प्राचीन भारतीय परंपराओं के साथ आधुनिक तकनीकी सुविधाओं और वास्तु शास्त्र सिद्धांतों का पालन करते हुए मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने नागर शैली में डिजाइन किया है. इसमें दीवारों पर भगवान राम के जीवन को प्रदर्शित करने वाली कलाकृतियां बनाई गई है. आइए जानते हैं कि अयोध्या में बना रहे भव्य राम मंदिर की किस फ्लोर पर क्या है?

अयोध्या राम मंदिर का प्रतिष्ठा समारोह

अयोध्या राम मंदिर का अभिषेक समारोह 22 जनवरी, 2024 को निर्धारित है. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी हिस्सा लेंगे. सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी इस दिन उपवास रखेंगे. 1,500-1,600 प्रतिष्ठित अतिथियों सहित लगभग 8,000 आमंत्रित लोगों के कार्यक्रम में आने की उम्मीद है. पूर्व प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रीय पार्टी प्रमुखों, सोनिया गांधी, मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, दलाई लामा और प्रमुख अभिनेताओं को निमंत्रण दिया गया है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही पीएम मोदी ने पुनर्विकसित अयोध्या रेलवे स्टेशन और एक नए हवाई अड्डे का उद्घाटन कर दिया है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण पर 900 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक, मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर 160 खंभे हैं तो वहीं पहली मंजिल पर 132 खंभे और दूसरी मंजिल पर 34 खंभे हैं. कुल पूरे मंदिर में 392 खंभे और 44 दरवाजे होंगे. राम मंदिर की अलग-अलग मंजिलों पर अलग-अलग स्थल बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही मंदिर के फर्स्ट फ्लोर पर भगवान श्री राम का दरबार होगा. जहां उनके भव्य मूर्तियां सजाई जाएगी. यहां भगवान रामलीला विराजमान होंगे. चांदी और बाकी रतन से सजाया गया सिंहासन भी इसी फ्लोर पर मौजूद होगा. इसके साथ ही मंदिर के क्षेत्र में नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप भी होंगे. भगवान श्रीराम के दरबार में अन्य भगवानों के मंदिर भी होंगे.

रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट की 14 मीटर मोटी परत से बना है नींव

मंदिर की नींव को रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट की 14 मीटर मोटी परत से बनाया गया है. जमीन की नमी से बचाने के लिए 21 फुट ऊंचा ग्रेनाइट प्लिंथ लगाया गया है और कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है. स्नान क्षेत्र और शौचालय के साथ परिसर में एक अलग ब्लॉक के साथ बुजुर्ग और विकलांग भक्तों के लिए रैंप और लिफ्ट भी बनाए गए हैं. चिकित्सा और लॉकर सुविधाओं के साथ 25,000 लोगों के लिए एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र भी होगा.

जानकारी के मुताबिक, राम मंदिर तीन मंजिलों में निर्मित किया जा रहा है. प्रत्येक मंजिल 20 फुट ऊंची है, परिसर में कुल 392 स्तंभ और 44 दरवाजे हैं. मंदिर का निर्माण मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में किया जा रहा है और राम लला की मूर्ति को गर्भगृह में रखा जाएगा. श्री राम दरबार पहली मंजिल पर होगा और नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप सहित पांच मंडप (हॉल) होंगे.

खंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां सजी होंगी और परिसर के चारों कोनों पर सूर्य, भगवती, गणेश, शिव को समर्पित मंदिर होंगे. उत्तरी और दक्षिणी भुजाओं पर क्रमशः अन्नपूर्णा और हनुमान के मंदिर बनाए जाएंगे. इनके अलावा परिसर में महर्षि वाल्मिकी, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषाद राज, शबरी आदि के मंदिर भी प्रस्तावित हैं.

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नागर शैली की वास्तुकला में कोई लोहा नहीं

मंदिर तक पूर्व से 32-सीढ़ी सिंह द्वार की चढ़ाई से पहुंचा जा सकता है. बुजुर्गों और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के आराम के लिए रैंप और लिफ्ट उपलब्ध हैं. मंदिर परकोटा से घिरा हुआ है, जो 732 मीटर लंबी और 14 फीट चौड़ी एक आयताकार परिसर की दीवार है. परिसर के चारों कोनों पर चार मंदिर हैं, जिनमें से प्रत्येक सूर्य देव, देवी भगवती, भगवान गणेश और भगवान शिव के लिए है. मां अन्नपूर्णा का मंदिर उत्तरी भुजा में स्थित है, जबकि हनुमान जी का मंदिर दक्षिणी भुजा में स्थित है.

मंदिर के निकट एक ऐतिहासिक कुआं (सीता कूप) है जो प्राचीन काल का है. महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या की पूज्य पत्नी को समर्पित प्रस्तावित मंदिर श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर के भीतर स्थित हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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