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इस वजह से गर्मियों में मच्छरों की बढ़ जाती है खून की प्यास, रिसर्च में बड़ा खुलासा

Research: आखिर ऐसा क्या होता है कि गर्मियों में मच्छर ज्यादा काटने लगते हैं? इन्हीं सवालों को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने इस पर एक रिसर्च किया है.

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Research: सर्दियों के जाते ही गर्मी के मौसम की शुरुआत हो जाती है. इस मौसम में कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. बाहर निकलने पर जहां तेज गर्म हवा तो घर में आते ही सुबह से शुरु होते हुए शाम तक मच्छरों का काफी प्रकोप शुरु हो जाता है. सर्दियों के मौसम में मच्छर जहां कम काटते हैं, वहीं गर्मियों में अचानक से इनकी तादाद बढ़ जाती है और इंसान इनके काटने से परेशान हो जाता है. आखिर ऐसा क्या होता है कि गर्मियों में मच्छर ज्यादा काटने लगते हैं? इन्हीं सवालों को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने इस पर एक रिसर्च किया है, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि आखिर मच्छर ऐसा क्यों करते हैं. वहीं इस शोध में एक और बात पता चली है कि मच्छर हमेशा से ही इंसानों का खून नहीं पीते थे. समय के साथ इनमें बदलाव होते गए और वे ऐसा करने लगे.

 तो इस वजह से मच्छर गर्मी में ज्यादा काटते हैं

शोध में यह बात निकलकर सामने आई है कि गर्मियों की शुरुआत का वक्त मच्छरों के प्रजनन का समय होता है. इसके लिए उन्हें नमी की जरूरत होती है. इसी कारण गर्मियों में मच्छर इंसानों का खून अधिक पीते हैं, जिससे उनमें प्रजनन की प्रक्रिया सुचारु रूप से हो सके.

रिसर्च में पता चली यह खास बात

मच्छरों पर यह शोध अमेरिका के न्यू जर्सी की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है. हालांकि उनका यह भी मानना है कि मच्छर हमेशा से ही इंसानी खून नहीं पीते थे. वे शुरुआत में इसके लिए जल पर निर्भर थे, लेकिन जब उन्होंने अपने आस-पास पानी को नहीं पाया तो वे खून पीने लगे. शहरों में मच्छरों के काटने की यह खास वजह है. क्योंकि वहां खुले में पानी की कमी रहती है.

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इस प्रजाति के मच्छर नहीं पीते खून

वैज्ञानिकों ने अफ्रीका के एडीस एजिप्टी मच्छर की कई प्रजातियों पर यह शोध किया. इस प्रजाति के मच्छर खून नहीं बल्कि दूसरी चीजों को खा-पीकर अपना पेट भरते हैं. इसके लिए शोधकर्ताओ ने अफ्रीका के सब-सहारन इलाके के 27 जगहों से एडीस एजिप्टी मच्छरों के अंडों को लिया. जब इनसे मच्छर निकलने शुरु हुए तो उन्होंने इंसानों और दूसरे जीवों के साथ इन्हें रखा. इससे उनके खून पीने के तरीके को समझा गया. जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि इस प्रजाती के मच्छरों का खान-पान दूसरे मच्छरों से काफी अलग है.

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