दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विविद्यालय के उत्तरी परिसर के विस्तार या बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पेड़ों की कटाई या प्रत्यारोपण को रोकने की प्रक्रिया का मसौदा तैयार करने के लिए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को नोडल प्राधिकारी नियुक्त किया है.
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने हाल के अपने आदेश में मुख्य सचिव से कहा कि वे दिल्ली शहरी कला आयोग (डीयूएसी), एमिसी क्यूरी (वकील आदित्य एन प्रसाद, गौतम नारायण और प्रभासहाय कौर), नगर निगम के अधिकारियों और उनकी राय में आवश्यक किसी भी अन्य एजेंसी सहित सभी हितधारकों को बुलाएं. वे इस मुद्दे पर विचार करें कि विविद्यालय की मौजूदा सुविधाओं का क्षैतिज रूप से विस्तार करने के बजाय लंबवत या भूमिगत रूप से विस्तारित करने की संभावना तलाशे, क्योंकि क्षैतिज विस्तार से कई पेड़ों की कटाई/प्रतिरोपण की संभावना है.
न्यायमूर्ति ने मुख्य सचिव से इसपर शीघ्र कदम उठाने को कहा है. वे विविद्यालय के विस्तार की आवश्यकता के प्रति सचेत हैं. कोर्ट ने इसके अलावा पुराने जेएनयू परिसर में सचिवालय प्रशिक्षण और प्रबंधन संस्थान (आईएसटीएम) के निदेशक को संस्थान में पेड़ों की कटाई को लेकर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है. उसने कहा कि डीसीएफ की भूमिका केवल पेड़ों की कटाई की अनुमति देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भी देखना है कि दी गई अनुमति का सही भावना और इरादे से क्रियान्वयन हो.
कोर्ट ने कहा कि डीसीएफ को यह देखना होगा कि प्रतिपूरक वृक्षारोपण और प्रत्यारोपण के अधीन दी गई अनुमति का अनुपालन उन अधिकारियों की ओर से किया गया है या नहीं. क्योंकि वास्तविकता सच्चाई से परे दिखती है. कोर्ट ने यह निर्देश एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है जिसमें कहा गया है कि संबंधित अधिकारी अदालती आदेश का पालन करने में विफल रहा है.
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-भारत एक्सप्रेस
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