चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर विवाद.
CEC EC Appointment Case Update: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 21 मार्च को नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने वाली याचिकाएं खारिज कर दीं. याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मार्च 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह कहीं नहीं लिखा है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले पैनल में ज्यूडीशियल मेबर होना चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले कानून पर रोक लगाने से इंकार कर दिया.
मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि अगर वे अभी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को रद्द करते हैं तो इससे अव्यवस्था फैल जाएगी. नए चुनाव आयुक्तों के खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं. हालांकि कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि चयन समिति को उम्मीदवारों के नामों पर विचार करने का समय क्यों नहीं दिया? इसके साथ ही कोर्ट ने कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी.
केंद्र ने पेश किया था हलफनामा
इससे पहले केंद्र सरकार ने बुधवार 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि कोई संवैधानिक संस्था तभी स्वतंत्र रहेगी जब उनके सेलेक्शन पैनल में कोई ज्यूडिशियल मेंबर जुड़े. यह दलील ठीक नहीं है. चुनाव आयेाग एक स्वतंत्र संस्था है.
गौरतलब है कि पूर्व चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे और अनुप चंद्र पांडे के रिटायर होने के बाद पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने 14 मार्च को ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधु की नियुक्ति की थी. इसी को आधार बनाकर कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि नियुक्ति से जुड़े कानून पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है ऐसे में सरकार नए आयुक्तों की नियुक्ति कैसे कर सकती है? इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने पारित किया था आदेश
बता दें कि केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर नया कानून बनाया था. इसके अनुसार कानून मंत्री और 2 केंद्रीय सचिवों की कमेटी 5 नाम शाॅर्ट लिस्ट कर चयन समिति को सौंपती है. इसके बाद पीएम की अध्यक्षता वाली चयन समिति जिसमें विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री मिलकर नाम तय करती है. सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश जारी कर कहा था कि सीईसी की नियुक्ति पीएम, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करेगा.
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