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CAA पर केंद्र आज सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगा हलफनामा, कानून के खिलाफ लगी हैं 237 याचिकाएं

सीएए कानून को रोकने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने याचिका लगाई है. सीएए के खिलाफ कुल 237 याचिकाएं दायर की गई हैं. इनमें से 20 में कानून पर रोक की मांग की गई है.

Citizenship Amendment Act Case Update

सुप्रीम कोर्ट में आज हलफनामा दाखिल करेगा केंद्र.

Citizenship Amendment Act Case Update: सीएए पर केंद्र सरकार आज सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल करेगी. कोर्ट ने इस मामले में 19 मार्च को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था. बेंच ने कहा कि था केंद्र 8 अप्रैल तक एफिडेविट दाखिल करे. वहीं इस मामले की सुनवाई कल यानी 9 अप्रैल को होगी. बता दें कि सीएए के खिलाफ कुल 237 याचिकाएं दायर की गई हैं. इनमें से 20 में कानून पर रोक की मांग की गई है.

इस मामले की सुनवाई सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच कर रही है. इसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं. बता दें कि केंद्र ने 11 मार्च को सीएए का नोटिफिकेशन जारी किया था. इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी. ऐसे में इस कानून को रोकने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने याचिका लगाई है.

इन लोगों को मिलेगा लाभ

इस कानून के जरिए 31 दिसंबर 2014 तक भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 हजार 313 गैर मुस्लिमों ने भारत में शरण ली है. यानी 31 हजार 313 लोग इस कानून के जरिए नागरिकता हासिल कर पाएंगे. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से आए मतुआ समुदाय के हिंदू शरणार्थियों को भी नागरिकता दी जाएगी. इनकी आबादी भी करीब 3-4 करोड़ बताई जाती है. ये समुदाय बंगाल की 10 लोकसभा सीटों और विधानसभा की 50 सीटों पर सीधा प्रभाव रखता है.

जानें क्यों हो रहा है सीएए का विरोध?

2019 में सीएए के संसद में पारित होने के बाद से ही दिल्ली से लेकर असम तक इसका विरोध हो रहा है. पूर्वोत्तर के लोग इसका विरोध इसलिए कर रहे है. क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि प्रवासियों के आने से उनकी भाषाई विविधता, अस्मिता खतरे में आ जाएगी. वहीं बाकी अन्य जगहों पर इसका विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि इसमें मुस्लिम शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है. इस कानून में तीनों देशों से आए सभी 6 धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है.

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