प्रतीकात्मक तस्वीर
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से आम आदमी पार्टी (आप) की उस याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा, जिसमें पार्टी ने अपने कार्यालय के लिए अस्थायी आधार पर जमीन आवंटित करने की मांग की है.
आप ने कहा कि केंद्र सरकार उसके साथ अन्य पार्टियों के बराबर व्यवहार नहीं कर रही है, जिन्हें मध्य दिल्ली के डीडीयू मार्ग पर जमीन आवंटित की गई है. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि आप की दलील है कि आप (केंद्र) उनके साथ दूसरों के बराबर व्यवहार नहीं कर रहे हैं. आप उन्हें दूर के स्थान पर फेंक रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दिए गए एक वचन-पत्र के अनुसार आप को 15 जून तक डीडीयू मार्ग पर अपना वर्तमान कार्यालय खाली करना होगा, जो पारिवारिक अदालतों के लिए निर्धारित था. अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 20 मई तय कर दी.
दो याचिकाओं पर विचार
हाईकोर्ट आम आदमी पार्टी द्वारा मध्य दिल्ली में अपने कार्यालय के लिए अस्थायी आवंटन या स्थायी आवंटन की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर विचार कर रहा है. बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील कीर्तिमान सिंह ने कहा कि केंद्र के पास डीडीयू मार्ग पर जमीन खाली का कोई विकल्प नहीं है. केंद्र सरकार के वकील ने यह भी कहा कि 2024 में पार्टी को साकेत में जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. 2023 से पहले जब यह राष्ट्रीय पार्टी बन गई, तो पार्टी ने कभी भी मध्य दिल्ली में जमीन नहीं मांगी.
स्थायी आवंटन के लिए जमीन की पेशकश
जून 2023 में आप ने कहा कि डीडीयू मार्ग पर कुछ जमीन उपलब्ध थी. 2023 में हमने उन्हें स्थायी आवंटन के लिए जमीन की पेशकश की. केंद्र सरकार के वकील ने कहा, निरीक्षण के बाद हमने पाया कि डीडीयू मार्ग पर कोई जमीन उपलब्ध नहीं है. 2024 में हम उन्हें साकेत में दो प्लॉट की पेशकश करते हैं. वरिष्ठ वकील सुधीर नंदराजोग ने सुझाव दिया कि आप मंत्री के कब्जे में दो प्लॉट पार्टी को उनके कार्यालय के लिए दिए जा सकते हैं. अगर इसे पार्टी को दे दिया जाए तो मंत्री इसे सरेंडर करने को तैयार हैं. कोर्ट ने पूछा क्या वे प्लॉट का इस्तेमाल अपने कार्यालय के लिए कर सकते हैं ?
प्लॉट आवंटित नहीं किए गए
केंद्र के वकील ने कहा उन्हें प्लॉट आवंटित नहीं किए गए. उन्होंने उन पर कब्ज़ा कर लिया. सबसे पहले उन्हें इसे सौंपना होगा और वे इस पर विचार करेंगे. उन्होंने कहा उनका कार्यालय कौशाम्बी में था. वरिष्ठ वकील नंदराजोग ने कहा कि यह अदालत को गुमराह करने का एक मजबूत प्रयास है. क्या राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की प्रतीक्षा सूची है? कोर्ट ने पूछा. क्या राजनीतिक दलों के लिए घर निर्धारित हैं?
वरिष्ठ वकील नंदराजोग ने सवाल किया, क्या हम 15 जून तक भवन का निर्माण कर सकते हैं, अगर हमें जमीन आवंटित की जाती है? कल सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि क्या दिल्ली के मंत्री के कब्जे वाले भूखंड याचिकाओं के नतीजे के अधीन अस्थायी आधार पर पार्टी को उनके कार्यालय के लिए दिए जा सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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