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Chandrayaan-3 Launch: 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चांद पर उतरेगा इसरो का ‘विक्रम’, जानिए 1972 के बाद से अब तक कोई इंसान चंद्रमा पर क्यों नहीं गया

Chandrayaan-3 Launch: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो ने आज शुक्रवार (14 जुलाई) को अपना चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च कर दिया. यह भारत का तीसरा मून मिशन है, इससे पहले इसरो ने 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया था. हालांकि, 2 सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 के चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद के चक्कर लगाते वक्त जब लैंडर विक्रम से अलग हुआ तो वो चांद की सतह से टकराकर क्रैश हो गया था. उससे भी इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 को लॉन्च किया था, यह मिशन सफल रहा था.

इसरो को अपने मिशनों में लगातार मिल रही काययाबी को देखते हुए अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा का कहना है कि वे भारत के इसरो के साथ बड़े स्‍पेस मिशन को अंजाम देने के लिए उत्‍सुक हैं. बता दें कि नासा ही वो एजेंसी है, जिसने इंसान को सबसे पहले चांद पर भेजा था. इंसानी सभ्यता के लिए 21 जुलाई 1969 की तारीख सबसे बड़ी थी. उस दिन पहली बार किसी मनुष्य ने चांद पर अपने कदम रखे थे. ये महान इंसान नील आर्मस्ट्रॉन्ग थे. इनके बाद आखिरी बार चांद पर 1972 यूजीन सेरनन गए थे.

यूजीन आखिरी इंसान थे जो पृथ्वी से चांद पर गए

यूजीन आखिरी इंसान थे जो पृथ्वी से चांद पर गए थे. इसके बाद आज तक कोई भी इंसान चांद पर नहीं गया. अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्यों इसके बाद किसी भी देश ने किसी इंसान को चांद पर नहीं भेजा? तो इसकी कई वजहे हैं. एक बड़ी वजह यह है कि कोई देश मोटी रकम खर्च करने को तैयार नहीं है. उदाहरण के लिए साल 2004 में अमेरिका ने एक बार फिर से प्लान किया था कि वह चांद के लिए इंसानी मिशन लॉन्‍च करेगा. मगर, बाद में भारी-भरकम बजट के चलते इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. अब चीन ये दावा कर रहा है कि उसके वैज्ञानिक भी चांद पर पहुंचेंगे. मगर, ये इतना मुमकिन नहीं है.

यह भी पढ़ें: Chandrayaan 3 Launch: श्रीहरिकोटा से चांद का हाल जानने निकल पड़ा चंद्रयान-3, सुलझाएगा अंतरिक्ष की पहेली

भारतीय भी जाएंगे चांद पर?

अब तक दुनिया के 4 देश चांद पर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास कर चुके है. वहीं, चंद्रयान—3 की लॉन्चिंग से पहले तक कुल मिलाकर 38 बार सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया गया है. दुर्भाग्य से, चंद्रमा पर उतरने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों या व्योमनॉट्स की संख्या शून्य है. पहले व्योमनॉट, राकेश शर्मा को अप्रैल 1984 में रूसी अंतरिक्ष उड़ान सोयुज़ टी-11 पर अंतरिक्ष में भेजा गया था. हालांकि, वो चांद पर नहीं गए थे. इसरो के कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि एक न एक दिन भारतीय चांद पर जरूर पहुंचेंगे.

– भारत एक्सप्रेस

Vijay Ram

ऑनलाइन जर्नलिज्म में रचे-रमे हैं. हिंदी न्यूज वेबसाइट्स के क्रिएटिव प्रेजेंटेशन पर फोकस रहा है. 10 साल से लेखन कर रहे. सनातन धर्म के पुराण, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में दो दशक से अध्ययनरत. सन् 2000 तक के प्रमुख अखबारों को संग्रहित किया. धर्म-अध्यात्म, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति, राजनीति और फिल्मी खबरों में रुचि.

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