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छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए ED के कामकाज के तरीकों पर की टिप्पणी

केंद्रीय एजेंसी राज्य में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के साथ ही कथित कोयला खनन और शराब घोटाले की जांच कर रही है, जिसमें उसने कई नेताओं और उनसे जुड़े लोगों के अलावा आईएएस अधिकारियों सहित कुछ प्रमुख अफसरों को जांच के घेरे में लिया है.

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छत्तीसगढ़ के 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के बहुचर्चित कोयला घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कथित आरोपी छतीसगढ़ की निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, सुनील कुमार अग्रवाल और दीपेश टौंक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने ईडी के कामकाज के तरीकों को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि ईडी की ओर से 5 हजार मामले दर्ज किए जाते है, लेकिन उनमें से सिर्फ 40 मामले में ही सजा हो पाती है.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपको अभियोजन की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है. ये ऐसे गंभीर आरोप है जो इस देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे है. यहां आप कुछ व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयानों का राग अलाप रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मौखिक साक्ष्य, कल भगवान जाने क्या वह इस पर कायम रहेंगे. कोर्ट ने कहा कुछ वैज्ञानिक प्रमाण होने चाहिए.

पिछली सुनवाई में छतीसगढ़ के कारोबारी सुनील कुमार अग्रवाल को कोर्ट ने पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई थी. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि आज की तारीख में याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 384 या अवैध लाभ देने वाली किसी आपराधिक गतिविधि के तहत अपराध दर्ज नहीं है.

रानू साहू को पिछले साल 22 जुलाई को ईडी ने गिरफ्तार किया था. ईडी ने रानू साहू समेत छत्तीसगढ़ में कई कारोबारियों और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष के यहां छापेमारी की थी. बता दें कि केंद्रीय एजेंसी राज्य में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के साथ ही कथित कोयला खनन और शराब घोटाले की जांच कर रही है, जिसमें उसने कई नेताओं और उनसे जुड़े लोगों के अलावा आईएएस अधिकारियों सहित कुछ प्रमुख अफसरों को जांच के घेरे में लिया है.

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-भारत एक्सप्रेस

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