Bharat Express

एमपी में मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना को मंजूरी, सीएम शिवराज सिंह चौहान बोले- युवाओं को रोजगार, प्रगति और विकास के नए अवसर देगी स्कीम

इस योजना से प्रमुख प्रतिष्ठानों को जोड़ने के‍ लिए पुणे, बैंगलुरू और नोएडा में कार्यशालाएँ की जाएंगी। साथ ही प्रदेश में युवाओं को योजना की जानकारी देने के उद्देश्य से संभाग और जिला‍ स्तर पर गतिविधियाँ संचालित होंगी।

shivraj singh chouhan

एमपी सीएम शिवराज सिंह चौहान (फोटो फाइल)

मध्य प्रदेश सरकार ने आगामी चुनावों से पहले राज्य के बेरोजगार युवाओं को गिफ्ट दिया है. शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट ने सीखो-कमाओ योजना को मंजूरी दे दी है. इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आज का दिन प्रदेश के लिए ऐतिहासिक है. राज्य सरकार रोजगार के लिए अनेकों प्रयास कर रही है, एक लाख पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जारी है. स्व-रोजगार के हमारे प्रयास निरंतर जारी हैं. प्रतिमाह रोजगार दिवस किया जा रहा है. हमारा संकल्प है कि युवाओं को बेरोजगार नहीं रहने देंगे. इस उद्देश्य से युवाओं को रोजगार के लिए कौशल सिखाने नई योजना लागू की जा रही है. युवाओं को कौशल सीखने के साथ भुगतान भी किया जाएगा. कौशल प्रशिक्षण के लिए कंपनियों और सर्विस सेक्टर को जोड़ा जाएगा. बेरोजगारी भत्ता बेमानी है. नई योजना, युवाओं में क्षमता संवर्धन कर उन्हें पंख देने की योजना है, जिससे वे खुले आसमान में ऊँची उड़ान भर सकें और उन्हें रोजगार, प्रगति और विकास के नित नए अवसर मिलें. योजना में युवाओं को प्रशिक्षण देने वाले प्रतिष्ठानों का पंजीयन 7 जून से और काम सीखने के इच्छुक युवाओं का पंजीयन 15 जून से शुरू होगा और प्लेसमेंट 15 जुलाई से आरंभ होगा. कार्य सीखाने वाले प्रतिष्ठान और राज्य शासन के बीच 31 जुलाई से अनुबंध की कार्यवाही होगी. एक अगस्त से युवा, कार्य आरंभ कर देंगे. यह क्रांतिकारी योजना युवाओं को बैसाखी पर चलना नहीं, अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाएगी. कार्य से सीखने की अवधि में युवाओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.

मुख्यमंत्री कौशल कमाई योजना का नाम हुआ ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’

मुख्यमंत्री चौहान निवास स्थित कार्यालय भवन समत्व में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक वंदे-मातरम गान से आरंभ हुई. बैठक में युवाओं के लिए योजना का प्रस्तुतिकरण हुआ और मंत्रि-परिषद ने योजना को अनुमोदन प्रदान किया. बैठक में निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री कौशल कमाई योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’ होगा.

18 से 29 वर्ष के युवा होंगे पात्र

योजना में कम से कम एक लाख युवाओं को प्रतिष्ठानों में प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा. मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी, 18 से 29 वर्ष के युवा, जिनकी शैक्षणिक योग्यता 12वीं अथवा आईटीआई या उच्च है, वे योजना में पात्र होंगे. प्रशिक्षण के बाद मध्य प्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड (MPSSDEGB) द्वारा स्टेट कॉउसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग (SCVT) का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा. योजना से युवाओं को प्रशिक्षण के साथ स्टाइपेंड मिलेगा, कौशल उन्नयन से उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और कमाई का बेहतर मार्ग प्रशस्त होगा.

8 से 10 हजार रूपए तक होगा स्टाइपेंड

प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि योजना से देश और प्रदेश के प्रतिष्ठित औद्योगिक तथा निजी संस्थानों को जोड़ा जाएगा. प्रतिष्ठान के पास पैन नंबर और जीएसटी पंजीयन होना आवश्यक होगा. प्रतिष्ठान अपने कुल कार्यबल के 15 प्रतिशत की संख्या तक छात्र प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दे सकेंगे. योजना में 12वीं उत्तीर्ण प्रशिक्षणार्थियों को 8 हजार रूपए, आईटीआई उत्तीर्ण को 8 हजार 500 रूपए, डिप्लोमा उत्तीर्ण को 9 हजार रूपए और स्नातक उत्तीर्ण या उच्च शैक्षणिक योग्यता वालों को 10 हजार रूपए प्रतिमाह स्टाइपेंट दिया जाएगा. स्टाइपेंड की 75 प्रतिशत राशि राज्य शासन की ओर से प्रशिक्षणार्थी को डीबीटी से भुगतान की जायेगी. संबंधी प्रतिष्ठान को निर्धारित न्यूनतम स्टाइपेंड की 25 प्रतिशत राशि प्रशिक्षणार्थी के बैंक खाते में जमा करानी होगी.

योजना में प्रशिक्षण के लिए 703 कार्य क्षेत्र चिन्हित

इस योजना में प्रशिक्षण के लिए 703 कार्य-क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं. इसमें विनिर्माण क्षेत्र, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल, प्रबंधन, मार्केटिंग, होटल मैनेजमेंट, टूरिज्म, ट्रेवल, अस्पताल, रेलवे, आई.टी. सेक्टर, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, बैंकिंग, बीमा, लेखा, चार्टर्ड एकाउंटेंट और अन्य वित्तीय सेवाओं से जुड़े प्रतिष्ठानों को जोड़ा जाएगा। मीडिया, कला, कानूनी और विधि सेवाएँ, शिक्षा-प्रशिक्षण और सेवा क्षेत्र में कार्यरत प्रतिष्ठान भी योजना में सम्मिलित होंगे. योजना से प्रशिक्षणार्थियों को उद्योग उन्मुख प्रशिक्षण, नवीनतम तकनीक और प्रक्रियाओं में दक्षता प्राप्त होगी, जिससे उनके नियमित रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. योजना से प्रमुख प्रतिष्ठानों को जोड़ने के‍ लिए पुणे, बैंगलुरू और नोएडा में कार्यशालाएँ की जाएंगी. साथ ही प्रदेश में युवाओं को योजना की जानकारी देने के उद्देश्य से संभाग और जिला‍ स्तर पर गतिविधियाँ संचालित होंगी.

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति करेगी योजना का संचालन

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति द्वारा योजना का संचालन किया जाएगा. कौशल विकास एवं रोजगार विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव समिति के सदस्य सचिव होंगे. वित्त, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, सूक्ष्म-लघु एवं मध्यम उद्यम, श्रम, उच्च शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव समिति के सदस्य होंगे.

मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना

इस योजना का पोर्टल होगा, जिसमें प्रतिष्ठान एवं युवा स्वयं को रजिस्टर करेंगे. कुल 703कोर्स के लिए युवा रजिस्टर कर सकते हैं. मांग अनुसार कोर्स में वृद्धि की जा सकेगी. मान लीजिए कि कोई न्यूज पेपर या न्यूज चैनल को 5 युवाओं की आवश्यकता है तो पोर्टल पर वह अपने यहाँ प्रशिक्षण के लिए रिक्त पदों की जानकारी अंकित करेंगे. पोर्टल पर जानकारी देने के बाद, पत्रकारिता से संबंधित पात्र युवाओं को प्रशिक्षण हेतु रिक्त पदों की जानकारी पोर्टल पर प्रदर्शित होने लगेगी, जिसके उपरांत वह रिक्त पदों के विरुद्ध आवेदन कर सकेगा. या पोर्टल के माध्यम से न्यूज चैनल या न्यूज पेपर, पोर्टल पर पूर्व से रेजिस्टर्ड युवाओं को आमंत्रित भी कर सकेंगे.

  • अब प्रतिष्ठान, ऑनलाइन अथवा दूरभाष पर युवाओं का साक्षात्कार ले सकेंगे.
  • साक्षात्कार के पश्चात प्रतिष्ठान अपनी आवश्यकता के अनूरूप 5 युवाओं का चयन कर लेगी.
  • प्रतिष्ठान द्वारा चयन के उपरांत प्रतिष्ठान, युवा एवं राज्य शासन के अधिकृत प्रतिनिधि के मध्य एक ऑनलाइन अनुबंध निष्पादित किया जाएगा.
  • अनुबंध में अंकित तिथि से युवा का संबंधित कोर्स में प्रशिक्षण (On-the-Job-Training) प्रतिष्ठान में प्रारंभ हो जाएगी.
  • प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को 8000 से 10000 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेण्ड प्राप्त होगा.
  • प्रतिष्ठान को निर्धारित न्‍यूनतम स्टाइपेण्ड की 25% राशि युवा के बैंक खाते में जमा करनी होगी.
  • प्रतिष्ठान निर्धारित राशि से अधिक स्टाइपेण्ड देने के लिए स्वतंत्र होगा.
  • प्रतिष्ठान द्वारा राशि जमा करने के बाद निर्धारित स्टाइपेण्ड का 75% राज्य शासन की ओर से युवा को DBT के माध्यम से भुगतान किया जाएगा.
  • प्रशिक्षण उपरांत निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण करने पर मध्यप्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड (MPSSDEGB) द्वारा State Council for Vocational Training (SCVT) का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा, जिसके उपरांत युवा स्किल्ड हो जाएगा.
  • अब प्रतिष्ठान चाहे तो युवा को नियमित रोजगार प्रदान कर दे या युवा किसी दूसरे प्रतिष्ठान में नौकरी करे, इसकी स्वतंत्रता युवा को रहेगी. इस योजना में कितने भी मध्यप्रदेश के स्थायी निवासी युवा रजिस्टर कर सकते हैं.


इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read