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कैशलेस इंडिया के दावे की खुली पोल, जामिया मिलिया इस्लामिया में एडमिशन के लिए नकदी की मांग, ATM के बाहर कतारों में दिखे छात्र

परेशान छात्र भारी बारिश में भी एटीएम से पैसे निकालने के लिए लंबी कतारों में खड़े दिखे, ताकि वे अपनी फीस जमा कर सकें और अपना प्रवेश ले सकें.

Jamia Millia Islamia

Jamia Millia Islamia

Jamia Millia Islamia: एक तरफ जहां देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दिया जा रहा है. तरह-तरह के पेमेंट ऐप लाए जा रहे हैं. ठेलेवाले से लेकर बड़े-बड़े दुकानदार और शॉपिंग मॉल से लेकर स्ट्रीट फूड वेंडर्स तक.. अब ऑनलाइन पेमेंट ले रहे हैं. लेकिन, देश के नामचीन शिक्षण संस्थानों में से एक जामिया मिलिया इस्लामिया डिजिटल इंडिया के मिशन में बट्टा लगा रही है. दरअसल, जामिया मिलिया इस्लामिया में न्यू सेशन के लिए एडमिशन लेने आए बच्चों से नकद वसूली की जा रही है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ऑनलाइन पेमेंट लेने से साफ इनकार कर दिया है.

पैसे निकालने के लिए लंबी कतारों में खड़े दिखे छात्र

परेशान छात्र भारी बारिश में भी एटीएम से पैसे निकालने के लिए लंबी कतारों में खड़े दिखे, ताकि वे अपनी फीस जमा कर सकें और अपना प्रवेश ले सकें. जब भारत एक्सप्रेस ने जामिया के पीआरओ अहमद अजीम से बातचीत की, तो उन्होंने स्वीकार किया कि प्रवेश शुल्क की राशि नकद में जमा कराई जा रही है. हालांकि, उन्होंने कहा कि भविष्य में जामिया मिलिया इस्लामिया में डिजिटल पेमेंट लिया जाएगा.

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बता दें कि पीएम मोदी कैशलेस और पेपरलेस लेनदेन की बात करते हैं और चाहते हैं कि भारत डिजिटल दुनिया में शीर्ष स्थान पर पहुंचे, देश के महान और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक में कैशलेस इंडिया को कैसे बढ़ावा दिया जा रहा है, आप इन तस्वीरों में देख सकते हैं. सबसे बड़ी बात ये कि यहां की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास यात्रा के पक्ष में होने का दावा करती हैं. ATM के बाहर छात्रों की लंबी कतारें उनके दावों की जमीनी सच्चाई की गवाही देती हैं.

-भारत एक्सप्रेस

 



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