

बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. कांग्रेस नेतृत्व ने मंगलवार को पार्टी की बिहार इकाई के नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें आगामी चुनावी रणनीति और संगठन की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई. बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन के तहत अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. हालांकि, मुख्यमंत्री पद के चेहरे और सीट बंटवारे का निर्णय गठबंधन के सभी घटक दलों द्वारा सामूहिक रूप से लिया जाएगा.
बैठक में बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी, वरिष्ठ नेता और विधायकों ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ गठबंधन जारी रखने की वकालत की. कांग्रेस ने संकेत दिया कि वह सम्मानजनक सीटों के साथ गठबंधन में बनी रहना चाहती है. हालांकि, सीटों की संख्या को लेकर फिलहाल कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन कांग्रेस का रुख स्पष्ट है कि वह अपनी राजनीतिक स्थिति को कमजोर नहीं होने देगी. बैठक के दौरान नेताओं ने माना कि आरजेडी और कांग्रेस दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है, जिससे कांग्रेस अपने राजनीतिक वजन को बनाए रख सकती है. गठबंधन के तहत सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस ने अगले 15 दिनों के भीतर एक कमिटी बनाने का निर्णय लिया है, जो सीटों के बंटवारे पर चर्चा करेगी और सहयोगी दलों के साथ समन्वय स्थापित करेगी.
19 सीटों पर मिली थी जीत
इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश कुमार मौजूद थे. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 243 सीटों में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उसे 19 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और 75 सीटें जीतीं, जबकि अन्य सहयोगी दलों में सीपीआई (एमएल) ने 19 में से 12, सीपीआई (एम) ने 4 और सीपीआई ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इस बार कांग्रेस सीट बंटवारे को लेकर कुछ शर्तें रख सकती है, क्योंकि पार्टी नेताओं का मानना है कि आरजेडी कांग्रेस को शहरी सीटें अधिक देती है, जहां उसका जनाधार अपेक्षाकृत कमजोर है.
बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (Twitter) पर लिखा, “बिहार में बदलाव की बयार बहने लगी है.” उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बेरोजगारी, भर्ती परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक जैसी समस्याओं से बिहार का युवा नाराज़ है.
कांग्रेस के इस रुख से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि वह बिहार में गठबंधन को लेकर गंभीर है और मजबूत स्थिति में रहकर चुनाव लड़ना चाहती है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आरजेडी और अन्य सहयोगी दल कांग्रेस की इन शर्तों पर कितना सहमत होते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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