राहुल गांधी और खड़गे (फाइल फोटो)
कभी 15 साल दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस दिल्ली के चुनाव में हाशिये पर नजर आ रही है. दो विधानसभा चुनाव में खाता भी नही खोल सकी पार्टी इस बार बड़े चेहरे को टिकट देकर दिल्ली की लड़ाई को त्रिकोणीय करना चाहती थी लेकिन अपने ही घटक दल एक एक कर कांग्रेस का हाथ छोड़ते हुए दिख रहे है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद सबसे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि वो दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन करेगी और मंच भी सांझा करेगी, वही टीएमसी और शिव सेना उद्धव गुट ने भी कहा की- आप ही दिल्ली में बीजेपी को हरा सकती है इसलिए हम आप के साथ है. जिसके बाद इस बात की अटकलें तेज हो गई कि 2024 लोकसभा चुनाव में बनी इंडिया एलाइंस 2025 जनवरी में ही टूट की कगार पर आ गई है.
वही अजय माकन के केजरीवाल को एंटी नेशनल वाले बयान पर भी गठबंधन के कई नेताओ ने नाराज़गी जाहिर की. सूत्रो की माने तो तमिलनाडु CM स्टालिन के राहुल गांधी से हुई फ़ोन पर बातचीत के बाद माकन की प्रेस वार्ता भी लीडरशिप ने कैंसिल करवा दी.
कांग्रेस का केंद्रीय लीडरशिप भी दिल्ली चुनाव से गायब
चुनाव के ऐलान से पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में कैंपेन की अगुवाई करते दिख रहे है वहीं केजरीवाल बीजेपी के द्वारा किए हर हमले का जवाब दे रही है लेकिन इस सबके बीच कांग्रेस लीडरशिप गायब है. न तो कांग्रेस के नेता आप के नेताओ पर कड़े हमले करती दिख रही है और उम्मीदवार उतार देने के कारण बचाव भी नही कर सकती. वही गठबंधन साथियों के दवाब ने भी कांग्रेस नेतृत्व को दुविधा में डाल दिया है.
कांग्रेस नेता ने बात करते हुए कहा की, ऐसा लग रहा है को दिल्ली चुनाव कांग्रेस नेतृत्व नही बल्कि सिर्फ दिल्ली कांग्रेस लड़ रही है. कांग्रेस दिल्ली की जनता के लिए पाँच गारंटी लेकर आई है जिसे एक-एक दिन में लांच किया जा रहा है लेकिन वो भी कांग्रेस के सेकंड लाइन नेता ही कर रहे है. लीडरशिप वहाँ भी ग़ायब है. सूत्रो की माने तो दिल्ली के उम्मीदवार राहुल गांधी-प्रियंका गांधी की पब्लिक मीटिंग डिमांड लगातार लीडरशिप तक पहुँचा रहे है लेकिन उनका कार्यालय फाइनल डेट नही दे रहा. हालांकि कहा जा रहा है कि राहुल गांधी विदेश दौरे से लौटते ही दिल्ली में चुनावी सभा को संबोधित कर सकते है.
-भारत एक्सप्रेस
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