दिल्ली हाईकोर्ट
गाजीपुर नाले में महिला और उसके तीन साल के बेटे की मौत के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए को पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. डीडीए की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि वह पीड़ित परिवार को मुआवजे के तौर पर 15 लाख रुपये देने को तैयार है. लेकिन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इसे आदर्श बताते हुए 20 लाख रुपये देने को कहा है.
डीडीए के वकील ने कहा कि अपने अधिकारों और विवादों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना और अपनी ओर से किसी भी दायित्व को स्वीकार किए बिना, मानवीय भाव के तौर पर वह मृतक तनुजा और प्रियांश के कानूनी उत्तराधिकारियों को 20 लाख रुपये देने को तैयार है.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट मयूर विहार फेज 3 निवासी झुन्नू लाल श्रीवास्तव द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ठेकेदार और डीडीए अधिकारियों के खिलाफ उनकी कथित लापरवाही के लिए कार्रवाई की मांग की गई थी, जिसके कारण महिला और उसके तीन वर्षीय बेटे की मौत हो गई थी.
तनुजा (22) और उसका बेटा प्रियांश 31 जुलाई की शाम को दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश के कारण पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर इलाके में जलभराव वाली सड़क पर आधे खुले निर्माणाधीन नाले में डूब गए थे. दिल्ली पुलिस ने कहा कि मौतों से संबंधित आपराधिक मामले में एक मसौदा आरोप पत्र तैयार किया गया है और जिम्मेदार अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम अधिकारियों से मंजूरी मिलने के बाद अंतिम आरोप पत्र दायर किया जाएगा.
पुलिस के वकील ने पहले अदालत को बताया था कि यह डीडीए का एक ठेकेदार था, जिसने वहां कुछ काम करने के बाद घटनास्थल पर नाले को खुला छोड़ दिया था. अधिकारियों द्वारा अपनाए गए रुख को देखते हुए, अदालत ने पाया कि आगे कोई आदेश नहीं मांगा गया और मामले में कार्यवाही बंद कर दी. कोर्ट ने एमसीडी के इस आश्वासन को भी दर्ज किया कि जिस क्षेत्र में यह घटना हुई थी, वहां सभी मरम्मत, पुनर्विकास और निर्माण कार्य दिसंबर तक पूरे कर लिए जाएंगे.
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-भारत एक्सप्रेस