
Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली में लगातार तीन बार सत्ता संभालने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को इस बार के विधानसभा चुनाव में कड़ी हार का सामना करना पड़ा है. अन्ना आंदोलन से निकली AAP चुनावी राजनीति में जाने के बाद 2013 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गई थी. इसके बाद 2015 में ऐतिहासिक 67 सीटें और 2020 में 62 सीटें जीतकर लगातार दिल्ली में ब्रांड केजरीवाल मजबूत हो गये थे. आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने खुद को कट्टर ईमानदार नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया था और यह दांव कारगर भी रहा. हालांकि दूसरी बार सत्ता में आने के बाद पार्टी के टॉप नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने केजरीवाल के ब्रांड को नुकसान पहुंचाया और चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल के जेल में रहने से AAP की शिकस्त की कहानी लिखी जा चुकी थी.
शराब घोटाले के आरोप में जेल
शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सत्येंद्र जैन संजय सिंह, मनीष सिसोदिया से लेकर अरविंद केजरीवाल के जेल जाने से दिल्ली चुनाव में बदलाव देखने को मिला हैं. ऐसा लग रहा था कि जेल से वापस आकर केजरीवाल ने इस्तीफा देने चुनाव से ठीक पहले आतिशी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया था, ताकि वो खुद को बेदाग छवि के साथ चुनाव में उतर सकें. हालांकि बीजेपी ने इस मुद्दे को प्रचार के दौरान खूब उछाला और केजरीवाल की ‘कट्टर ईमानदार’ वाली छवि को ‘कट्टर बईमान’ के तौर पर पेश किया. केजरीवाल ने भी चुनाव प्रचार के दौरान अपनी छवि का फैसला दिल्ली की जनता पर छोड़ते हुए कहा था कि अगर हम ईमानदार हैं तो हमें जिताकर विधानसभा भेजना.
जनता में केजरीवाल के लिए आक्रोश की एक वजह यह भी बताई जा रही हैं कि भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों के बावजूद, 150 से ज्यादा दिन जेल में गुजारने के बाद भी सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया और जब इस्तीफा देने के बाद भी CM पद के लिए अपना नाम खुद तय कर दिया था. मुख्यमंत्री पद छोड़ने का ऐलान करते हुए उन्होंने आतिशी को चुनाव से ठीक पहले सीएम बनाया और आतिशी भी लगातार खुद को अस्थाई सीएम कहती रहीं ताकि कुर्सी पर केजरीवाल की दावेदारी मजबूत रहे.
यमुना की सफाई दिल्ली चुनावी बना मुद्दा
यमुना की सफाई दिल्ली में बड़ा चुनावी एक अहम मुद्दा बना हुआ था. चुनाव प्रचार दौरान के केजरीवाल ने हरियाणा की बीजेपी सरकार पर यमुना के पानी में जहर घोलने का आरोप लगाना एकदम उल्टा पड़ गया. हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने दिल्ली आकर यमुना घाट का पानी पिया और केजरीवाल पर झूठ परोसने के आरोप को गलत ठहराया.
केजरीवाल ने भी अपनी चुनावी सभाओं में यमुना को साफ न कर पाने की बात स्वीकार की थी और इस काम के लिए केजरीवाल तीसरी बार जनता से मौका मांगा था. लेकिन दिल्ली की जनता को यह लगने लगा कि जो काम केजरीवाल सरकार पिछले दो कार्यकाल में नहीं कर पाई, उसे तीसरी बार में कैसे कर लेगी, इसे लेकर लोगों के बीच शंका थी और यह बात भी लोगों ने कैमरे पर आकर कही है.
बीजेपी ने उठाया ‘शीशमहल’ पर सवाल
चुनाव में BJP की ओर से ‘शीशमहल’ का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया गया. पार्टी का आरोप था कि जब दिल्ली की जनता कोरोना की जानलेवा लहर झेल रही थी तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने सरकारी आवास में करोड़ों के पर्दे लगवा रहे थे.
‘शीशमहल’ के मुद्दे ने केजरीवाल की ‘आम आदमी’ वाली इमेज को बहुत नुकसान पहुंचाया और बीजेपी ने भी चुनाव के दौरान लगातार दिल्ली की जनता के बीच इस मुद्दे को लगातार उठाती रही. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनाव से एक दिन पहले ही संसद में बोलते हुए बगैर नाम लिए कहा था कि आजकल कुछ नेताओं का फोकस घरों में जकूजी और स्टाइलिश शावर बनवाने पर है, लेकिन हमारा फोकस हर घर जल पहुंचाने पर है.
स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट का आरोप
मुख्यमंत्री आवास में AAP पार्टी की महिला सांसद स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट का मामला भी चुनाव में AAP की हार के लिए वजह माना जा सकता है. स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल पर मारपीट करवाने की आरोप लगाई थी और स्वाति मालीवाल इस मुद्दे को लगातार चुनाव के बीच भी उठाती रहीं लेकिन केजरीवाल खुद कभी इस मुद्दे पर खुलकर नहीं बोले. बीजेपी ने इस मुद्दे को भी पकड़ लिया और केजरीवाल को महिला विरोधी के तौर पर प्रचारित किया. नतीजों के बाद स्वाति मालीवाल ने इसे केजरीवाल के अहंकार की हार बताया है.
कौन होगा दिल्ली का CM
स्वाति मालीवाल और कैलाश गहलोत जैसे केजरीवाल के पुराने साथियों से दुश्मनी होना आप पार्टी के लिए चुनाव में मुश्किल बनी. आप पार्टी के कुछ विधायकों ने तो चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले बीजेपी का दामन थाम लिया और AAP को नुकसान पहुंचाया. आंदोलन के दौरान के साथी प्रशांत भूषण से लेकर कुमार विश्वास और योगेंद्र यादव का पार्टी से अलग होना भी केजरीवाल पर सवाल उठाता है. कुमार विश्वास ने भी चुनाव नतीजों पर बोलते हुए कहा कि केजरीवाल ने करोड़ों कार्यकर्ताओं के सपनों को अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कुचला है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में 70 विधानसभा सीटों में से 48 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है, जबकि आम आदमी पार्टी सिर्फ 22 सीटों पर ही सिमट गई है. अब आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपनी जमीन खो चुकी हैं. कांग्रेस को लगातार तीसरी बार एक भी सीट हासिल नहीं हुई है. अब सबकी निगाहें दिल्ली के अगले सीएम के नाम पर हैं क्योंकि बीजेपी ने सीएम उम्मीदवार का ऐलान किए बगैर यह चुनाव लड़ा था.
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-भारत एक्सप्रेस
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