स्वाति मालीवाल और विभव कुमार.
Delhi News: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग के पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के बदसलूकी के मामले में कथित आरोपी बिभव कुमार के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश के खिलाफ याचिका याचिका पर तीस हजारी कोर्ट के सेशन जज ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
संवाददाता ने बताया कि कोर्ट 3 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. बिभव कुमार पर 13 मई को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर स्वाति मालीवाल पर हमला करने का आरोप है और फिलहाल वह जमानत पर है. बिभव कुमार ने तीस हजारी कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की है, जिसमें तर्क दिया गया है कि नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के बजाए निरस्त्र आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत यांत्रिक तरीके से संज्ञान लिया गया है.
याचिका में कही गई हैं ऐसी बातें
याचिका में कहा गया है कि संज्ञान के लिए इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या नए बीएनएसएस के बाद के प्रावधानों के तहत आगे की कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार है, जो वर्तमान मामले में गायब है. याचिका में आगे विभिन्न आधारों पर विसंगतियों का दावा किया गया है, जिसमें अंतिम रिपोर्ट दोषपूर्ण होना भी शामिल है. इसमें आरोप लगाया गया है कि जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य प्राप्त किए गए और प्रदर्शनों के संबंध में एफएसएल रिपोर्ट अभी भी लंबित है. महत्वपूर्ण साक्ष्यों पर विचार नहीं किया गया, जबकि अदालत ने केवल अधूरे चार्जशीट के आधार पर संज्ञान लिया है.
30 जुलाई को दायर चार्जशीट पर संज्ञान
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 30 जुलाई को बिभव कुमार के खिलाफ दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. चार्जशीट पर सुनवाई के दौरान पुलिस की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि पुलिस ने आईपीसी की धारा 308, 354, 354B, 506, 509, 341 लगाई है और आईपीसी की धारा 201 को आरोप पत्र में जोड़ा गया है.
‘आरोप पत्र 500 पेज का, 100 गवाहों की सूची’
सबूत के तौर पर पुलिस ने बिभव कुमार का मोबाइल फोन, सिम कार्ड और मुख्यमंत्री आवास पर लगे सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर/ एनवीआर जब्त कर लिया है. यह आरोप पत्र 500 पेज का है और इसमें 100 गवाहों की सूची है. दूसरी ओर कोर्ट दिल्ली पुलिस की ओर से दायर अर्जी पर 3 दिसंबर की तारीख पहले से ही तय कर रखी है. दिल्ली पुलिस ने अविश्वनीय दस्तावेजों की सूची दाखिल करने और आपूर्ति करने के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को चुनौती दी है.
– भारत एक्सप्रेस
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