

दिल्ली की सभी जिला अदालतों की समन्वय समिति (Coordination Committee) ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को एक पत्र सौंपकर बड़ा आग्रह किया है. समिति ने मांग की है कि जिला अदालतों को मौद्रिक मामलों की सुनवाई की अधिकतम सीमा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दी जाए. इस संबंध में समिति ने कानून में आवश्यक संशोधन करने की भी अपील की है.
समिति ने अपने पत्र में कहा है कि देश में तेजी से बढ़ रही वाणिज्यिक गतिविधियों और महंगाई के चलते अब अधिकांश सिविल मामले उच्च न्यायालय (High Court) पहुंच रहे हैं. इन मामलों में दिल्ली देश में दूसरे स्थान पर है, जिससे दिल्ली हाईकोर्ट पर अत्यधिक बोझ बढ़ गया है. परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट में मामलों की लंबित संख्या में वृद्धि हो रही है और सुनवाई में भी काफी देरी हो रही है.
वहीं, जिला अदालतों में इन मामलों का निपटारा अपेक्षाकृत तेजी से और कम खर्च में हो रहा है. इससे आम जनता को सुलभ और त्वरित न्याय मिल रहा है. समिति का कहना है कि यदि जिला अदालतों को 20 करोड़ रुपये तक के सिविल मामलों की सुनवाई का अधिकार मिल जाए, तो इससे उच्च न्यायालय का बोझ कम होगा और न्यायिक प्रक्रिया अधिक प्रभावी और जनोन्मुखी बन सकेगी.
अब देखना यह होगा कि सरकार इस सुझाव पर कितना गंभीरता से विचार करती है और क्या वास्तव में कानून में संशोधन कर जिला अदालतों के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया जाता है.
-भारत एक्सप्रेस
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