प्रतीकात्मक फोटो
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को 16 दिसंबर तक यह तय करने का निर्देश दिया है कि क्या अपराध के आरोपी और जमानत पर रिहा हुए विदेशियों को हिरासत केंद्रों में रखा जाना चाहिए और क्या उनके वीज़ा को बढ़ाया जाना चाहिए. अदालत ने सरकार से यह भी कहा कि जिन विदेशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं और जिनका भारतीय वीजा समाप्त हो चुका है, उनके लिए राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश तैयार किए जाने चाहिए.
न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह और अमित शर्मा की खंडपीठ ने मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा भेजे गए एक प्रश्न पर विचार करते हुए यह निर्देश दिए. उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि यह प्रश्न महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका “विदेशी नागरिकों के लिए न्यायालयों द्वारा जमानत आदेश पारित करने के तरीके पर बड़ा प्रभाव पड़ता है.
मजिस्ट्रेट ने वैध वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी अधिक समय तक रहने के आरोपी विदेशी नागरिकों की जमानत से संबंधित मुद्दों पर उच्च न्यायालय के निर्णय का आग्रह किया था.
केंद्र सरकार ने पीठ को सूचित किया कि नीतिगत स्तर पर सरकार भी इस मामले से अवगत है; हालांकि, अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि जमानत पाने वाले विदेशियों को हिरासत केंद्र में रखा जा सकता है या नहीं या फिर संबंधित अदालत में मुकदमे का सामना करने के लिए उनके वीजा की अवधि बढ़ानी होगी.
नीति की कमी को ध्यान में रखते हुए पीठ ने कहा इस सवाल पर नीतिगत स्तर पर निर्णय शीघ्रता से लिया जाना चाहिए कि क्या विदेशी जो अपराध के आरोपी हैं और जिन्हें जमानत दी गई है, उन्हें हिरासत केंद्रों में रखा जाना चाहिए और क्या उनके वीजा की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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