दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) में अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पद को शीघ्र भरने की मांग याचिका पर जवाब मांगा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से दिल्ली सरकार, डीसीपीसीआर और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
राष्ट्रीय बाल विकास परिषद द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पिछले साल 2 जुलाई को अनुराग कुंडू (पूर्व अध्यक्ष) का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से डीसीपीसीआर का कामकाज गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा
याचिकाकर्ता काउंसिल की ओर से पेश वकील रॉबिन राजू ने कहा कि पद को इतने लंबे समय तक खाली रखना दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के नियमों की धारा 8(2) का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि मृत्यु, इस्तीफे या किसी अन्य कारण से रिक्ति अन्य कारण ऐसी रिक्ति होने की तारीख से 90 दिनों के भीतर नामांकन द्वारा भरा जाएगा.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को एक कार्यालय नोट सौंपा जिसमें कहा गया कि रिक्त पद के लिए आवेदन आमंत्रित करने के लिए एक प्रस्ताव बनाया गया था और फाइल पिछले साल 1 अगस्त को संबंधित मंत्री को भेज दी गई थी.अदालत को आगे बताया गया कि संबंधित मंत्री ने 27 मार्च को लिखा था कि चूंकि आदर्श आचार संहिता लागू है, इसलिए विज्ञापन जारी नहीं किया जा सकता है. अदालत को बताया गया हालांकि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस बीच रिक्त पद को लेकर अंतरिम व्यवस्था कर दी है.
याचिका में कहा गया
याचिका में कहा गया है कि काउंसिल ने 9 फरवरी को दिल्ली सरकार को एक अभ्यावेदन लिखकर डीसीपीसीआर अध्यक्ष के पद को भरने का अनुरोध किया था, हालांकि, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.इसमें कहा गया है कि डीसीपीसीआर बाल अधिकारों के मामलों पर याचिकाकर्ता परिषद का एक वैधानिक प्रहरी है और उसने अधिकारों की निगरानी, सुरक्षा उपायों की समीक्षा, उल्लंघनों की जांच करने और नीति निर्माण और संशोधनों पर सरकार को सलाह देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
-भारत एक्सप्रेस