
जज यशवंत वर्मा
दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर नकदी मिलने की खबर पर बड़ा अपडेट आया है. दिल्ली अग्निशमन विभाग (DFS) ने इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. DFS प्रमुख अतुल गर्ग ने स्पष्ट किया कि दमकल कर्मियों को आग बुझाने के दौरान कोई नकदी नहीं मिली. 14 मार्च की रात 11:35 बजे लुटियंस दिल्ली में स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की सूचना मिली. तुरंत दो दमकल गाड़ियां रवाना की गईं और दमकलकर्मी 11:43 बजे तक मौके पर पहुंच गए.
स्टोर रूम में आग लगी थी, जहां स्टेशनरी और घरेलू सामान रखा था. 15 मिनट में आग पर काबू पा लिया गया और किसी भी तरह के नुकसान या हताहत होने की खबर नहीं है. आग बुझाने के बाद पुलिस को सूचना दी गई और टीम वहां से चली गई.
मीडिया रिपोर्ट्स में नकदी मिलने का दावा
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि आग लगने के बाद जस्टिस वर्मा के बंगले में भारी मात्रा में नकदी मिली. इसे उनके इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर से भी जोड़कर देखा जा रहा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को ट्रांसफर से अलग बताते हुए सभी अटकलों को खारिज किया.
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने शुरू की जांच
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट 21 मार्च 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को सौंपने की बात कही है. इसके बाद इस रिपोर्ट की समीक्षा कर आगे की कार्रवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक बयान
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पहले ही जांच शुरू कर चुके थे. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में कई अफवाहें और गलत जानकारी फैलाई जा रही हैं, जिनसे बचने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर और इन-हाउस जांच प्रक्रिया पूरी तरह अलग हैं. वर्तमान में दिल्ली हाईकोर्ट में वह दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर होने के बाद उनकी वरिष्ठता घटकर नौवीं हो जाएगी.
जस्टिस यशवंत वर्मा का करियर
56 वर्षीय जस्टिस यशवंत वर्मा ने 1992 में अधिवक्ता के रूप में अपनी शुरुआत की थी. उन्हें 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया और 2016 में स्थायी जज बने. उनका जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) और रीवा यूनिवर्सिटी (मध्य प्रदेश) से एलएलबी की डिग्री ली.
वह संवैधानिक, श्रम, औद्योगिक और कॉर्पोरेट कानूनों में विशेषज्ञता रखते हैं. 2006 से हाईकोर्ट के विशेष वकील और 2012-13 में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख स्थायी अधिवक्ता रहे. 2013 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला.
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-भारत एक्सप्रेस
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