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दिल्‍ली के सभी सरकारी स्कूलों में वितरित की जा चुकीं पाठ्यपुस्तकें, हाईकोर्ट ने की शिक्षा निदेशालय की सराहना

अदालत की पीठ ने कुछ समय पहले स्‍कूली बच्चों को किताबें और यूनिफॉर्म न दिए जाने को लेकर दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी. हालांकि, अब हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की सराहना की है.

delhi high court

दिल्ली हाईकोर्ट

Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के सभी सरकारी स्कूलों में पाठ्यपुस्तकों के पूर्ण वितरण के लिए दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की सराहना की। इसी के साथ अदालत ने इस मुद्दे पर दायर याचिका का निपटारा कर दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ को दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने सूचित किया कि सभी सरकारी स्कूलों में पाठ्यपुस्तकें वितरित कर दी गई हैं।

अदालत ने मौखिक रूप से कहा- बहुत अच्छा, यह दर्शाता है कि जब इच्छा होती है, तो कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है। दिल्ली सरकार के प्रभारी शिक्षा निदेशक के निर्देश पर त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि सभी सरकारी स्कूलों में पाठ्यपुस्तकों का पूर्ण वितरण किया गया है। अदालत ने कहा यह अदालत शिक्षा निदेशालय द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करती है। इसके अलावा स्कूलों में भीड़भाड़ कम करने की प्रक्रिया पर त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि पिछली स्थिति रिपोर्ट में उल्लिखित अनुपालनों का अनुपालन किया जाएगा। कोर्ट ने इसी के साथ एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका को बंद कर दिया, जिसमें तर्क दिया गया था कि एमसीडी स्कूलों में छात्रों को यूनिफॉर्म, लेखन सामग्री, नोटबुक आदि जैसे वैधानिक लाभों से वंचित किया जा रहा है।

याचिका में एमसीडी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि सभी छात्रों के पास चालू बैंक खाते हों और इन खातों के खुलने तक उन्हें बियरर चेक के माध्यम से लाभ प्रदान किए जाएं। इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का अरविंद केजरीवाल का निर्णय उनका व्यक्तिगत निर्णय है, लेकिन उनकी अनुपस्थिति एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों को उनकी मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, लेखन सामग्री और यूनिफॉर्म प्राप्त करने से नहीं रोक सकती है। एमसीडी आयुक्त ने न्यायालय को पहले बताया था कि केवल स्थायी समिति के पास 5 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध देने का अधिकार है।

पीठ ने कहा था कि कोई रिक्तता नहीं हो सकती है और यदि किसी कारण से स्थायी समिति का गठन नहीं किया जाता है, तो वित्तीय शक्ति दिल्ली सरकार द्वारा किसी उपयुक्त प्राधिकारी को सौंपी जानी चाहिए। पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि शक्तियों का हस्तांतरण केवल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सहमति से ही किया जा सकता है, जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। यह दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के निर्देश पर किया गया था।

पीठ ने परियोजनाओं के ठप होने और बच्चों को किताबें और यूनिफॉर्म न दिए जाने को लेकर दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी और कहा था कि सरकार केवल शक्तियों के विनियोग में रुचि रखती है और जमीनी स्तर पर कुछ भी काम नहीं कर रही है।

– भारत एक्‍सप्रेस



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