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Nanded Bomb Blast: अप्रैल 2006 में हुए बम धमाके के मामले में सभी 12 आरोपी बरी, अदालत ने कहा- ठोस सबूतों का अभाव, संलिप्तता साबित नहीं

6 अप्रैल 2006 को नांदेड़ के पटबंधारे नगर में राजकोंडवार के घर पर एक बड़ा विस्फोट हुआ था. कोर्ट ने सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया है. इस फैसले से सीबीआई को बड़ा झटका लगा है.

nanded court

बम धमाके के मामले में अदालत का फैसला आया.

नांदेड़ स्थित कोर्ट ने आज अप्रैल 2006 में हुए बम धमाके के मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया. इस धमाके में दो लोगों की मौत हो गई थी और अन्य कई लोग घायल हो गए थे. कोर्ट के फैसले ने इस केस से जुड़ी कई जटिलताओं को एक नई दिशा दी है.

अप्रैल 2006 में नांदेड़ शहर के एक घर में हुए बम धमाके ने पूरे इलाके को हिला दिया था. धमाके में दो लोगों की मौत हो गई थी और कुछ लोग घायल हो गए थे. इस मामले में पुलिस ने 12 लोगों को आरोपित किया था, जिनमें से कुछ का संबंध अन्य उच्च-profile आतंकवादी घटनाओं से भी था.

आरोपी का संबंध मालेगांव 2008 धमाके से

नांदेड़ धमाके के आरोपी राकेश धवाड़े का नाम मालेगांव 2008 बम धमाके में भी आया था. राकेश धवाड़े सहित अन्य आरोपियों पर मालेगांव धमाके में भी अपनी भूमिका निभाने का आरोप था. मालेगांव धमाका 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुआ था, जिसमें कई लोग मारे गए थे. राकेश धवाड़े और अन्य आरोपी इस मामले में प्रमुख संदिग्ध थे.

अदालत ने क्यों बरी किया आरोपियों को?

नांदेड़ अदालत ने आज सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश करने में असफल रहा. कोर्ट ने माना कि मामले में कोई स्पष्ट और मजबूत साक्ष्य नहीं मिले, जिससे आरोपियों की अपराध में संलिप्तता साबित हो सके.

पुलिस-जांच एजेंसियों के सामने चुनौती

इस फैसले ने जांच एजेंसियों के सामने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों ने आरोपियों को पकड़ने और मामले को सुलझाने के लिए लंबी पूछताछ और जांच की थी, लेकिन अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. इस मामले में जांच एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसे मामलों में सबूत जुटाने में और अधिक गंभीरता से काम किया जाए.

राकेश धवाड़े की हिस्ट्री

राकेश धवाड़े का नाम मालेगांव 2008 धमाके में प्रमुख संदिग्धों में शामिल था. मालेगांव धमाके में हिन्दू आतंकवाद के आरोपियों के नाम सामने आए थे, जिनमें राकेश धवाड़े भी शामिल थे. हालांकि, उन्हें और अन्य आरोपियों को इस धमाके से जुड़े आरोपों में भी राहत मिल चुकी थी, लेकिन अब नांदेड़ मामले में भी उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाए गए.

न्यायालय का फ़ैसला

नांदेड़ कोर्ट के फैसले के बाद एक वरिष्ठ न्यायधीश ने कहा, “यह फैसला सबूतों के आधार पर लिया गया है. अदालत को आरोपियों के खिलाफ कोई सटीक और प्रमाणिक सबूत नहीं मिले, जिसके आधार पर उन्हें दोषी ठहराया जा सके.”

क्या होगा आगे?

अब यह देखना होगा कि जांच एजेंसियां इस फैसले के खिलाफ अपील करती हैं या नहीं. साथ ही, भविष्य में आतंकवादी घटनाओं के मामलों में सबूत जुटाने के लिए क्या नई रणनीतियां अपनाई जाएंगी. इस फैसले से प्रभावित लोग और पीड़ित परिवार यह देखेंगे कि क्या न्यायिक प्रक्रिया के तहत उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिल पाएगा.

नांदेड़ 2006 बम धमाके मामले में अदालत का यह फैसला कई सवालों को जन्म देता है. जहां एक ओर आरोपियों को बरी कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर जांच एजेंसियों को अपनी जांच प्रक्रिया पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है. यह फैसला और इससे जुड़े तथ्यों को लेकर समाज में असंतोष और सवाल उठने की संभावना है.



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