
दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को एक बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित द्वारा दायर सिविल मानहानि याचिका को खारिज कर दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सिविल मानहानि मामले के लिए कोर्ट फीस जमा नहीं की है, जिसके कारण याचिका पर सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं है.
संदीप दीक्षित की 10 करोड़ रुपये की हर्जाने की मांग
संदीप दीक्षित ने 26 दिसंबर 2024 को नई दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद मानहानि का मुकदमा दायर किया था. आरोप था कि उन्होंने भाजपा से करोड़ों रुपये लिए और आप पार्टी की विधानसभा चुनाव में संभावनाओं को नुकसान पहुँचाने के लिए साजिश की. इन आरोपों को संदीप दीक्षित ने निराधार और मानहानिकारक बताया और अपनी प्रतिष्ठा के नुकसान के बदले 10 करोड़ रुपये हर्जाना मांगा था.
कानूनी दावे और कोर्ट फीस की अहमियत
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रमोद चौधरी के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मानहानि का शिकार महसूस करता है, तो वह अदालत में अपनी मानसिक प्रताड़ना और साख के नुकसान को आधार बनाकर हर्जाने की मांग कर सकता है. हालांकि, मानहानि का मुकदमा दायर करते वक्त कोर्ट फीस जमा करना अनिवार्य है. इसी मामले में, शशांक देव सुधि का कहना था कि संदीप दीक्षित को 10 करोड़ रुपये के मुकदमे के लिए 1 करोड़ रुपये कोर्ट फीस के रूप में जमा करनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसी कारण उनकी याचिका खारिज की गई.
आगे की कानूनी प्रक्रिया
दिल्ली के राऊज एवेन्यु कोर्ट ने 16 जनवरी को संदीप दीक्षित की आपराधिक मानहानि याचिका में पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और संजय सिंह को समन जारी कर पेश होने के लिए कहा था
-भारत एक्सप्रेस
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