Bharat Express

आपराधिक प्री-ट्रायल में शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करने से हाइकोर्ट का इनकार, ये चीजें होंगी अनिवार्य

Delhi High Court: याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के नियम यह स्पष्ट करते हैं कि आपराधिक मामले का एक पक्ष आवेदन दाखिल करने पर मामले के रिकॉर्ड की प्रतियां प्राप्त करने का हकदार है.

Delhi High Court

दिल्ली हाई कोर्ट

High Court Criminal Pre Trial: उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में ट्रायल कोर्ट को किसी आपराधिक मामले में प्री-ट्रायल चरण में शिकायतकर्ता या पीड़ित को अनिवार्य रूप से नोटिस जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि अगर इस तरह के सुझाव को स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह ‘बीमारी से भी बदतर इलाज’ के रूप में काम करेगा.

आपराधिक प्री-ट्रायल पर हाईकोर्ट का निर्णय

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के निर्देश से परीक्षणों में टालने योग्य और अवांछित देरी होने की संभावना है और यह शीघ्र परीक्षणों के उद्देश्य के खिलाफ काम करने की संभावना है.

पीठ ने कहा क़ानून में ऐसा कोई आदेश नहीं है जो आपराधिक अदालत को प्री-ट्रायल चरण में शिकायतकर्ता/पीड़ित को नोटिस जारी करने के लिए बाध्य करता हो. हम याचिकाकर्ता के इस सुझाव को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि आपराधिक अदालत के लिए आपराधिक कार्यवाही में प्री-ट्रायल और ट्रायल के हर चरण में शिकायतकर्ता/पीड़ित को नोटिस जारी करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिए.

जिला अदालतों को संज्ञान लेने का निर्देश

पीठ वकील विवेक कुमार गौरव द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सभी जिला अदालतों या पुलिस स्टेशनों को शिकायतकर्ताओं को आरोप पत्र या अंतिम रिपोर्ट की प्रति मुफ्त में उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी का बड़ा ऐलान, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह-नरसिम्हा राव और MS स्वामीनाथन को भारत रत्न

याचिका में जिला अदालतों को संज्ञान लेने के समय शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी करने का निर्देश देने की भी मांग की गई ताकि पीड़ितों को सुनवाई के अपने अधिकार का प्रयोग करने और प्री-ट्रायल आपराधिक कार्यवाही में भाग लेने में सक्षम बनाया जा सके.

रिकॉर्ड की प्रतियां प्राप्त करने का हकदार है एक पक्ष

याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के नियम यह स्पष्ट करते हैं कि आपराधिक मामले का एक पक्ष आवेदन दाखिल करने पर मामले के रिकॉर्ड की प्रतियां प्राप्त करने का हकदार है. पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एसओपी लागू करने के लिए निर्देश जारी कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि यौन अपराधों के पीड़ितों (महिलाओं और बच्चों) को बिना किसी लागत के आरोप पत्र की एक प्रति प्रदान की जाएगी.

-भारत एक्सप्रेस 



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read