

दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया और फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट ऑफ इंडिया द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सर्विस चार्ज वसूलने पर लगी रोक को चुनौती दी गई थी. इसके साथ ही केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को भी कोर्ट ने सही ठहराया है.
कोर्ट का फैसला और जुर्माना
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह की अगुवाई में हुई सुनवाई में CCPA के दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका को न सिर्फ खारिज किया गया, बल्कि नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. कोर्ट ने साफ कहा कि CCPA केवल एक सलाहकार संस्था नहीं है, बल्कि उसके पास अनुचित व्यापार प्रथाओं की रोकथाम और उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार है.
याचिका में दलील दी गई थी कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जो रेस्तरां को सर्विस चार्ज लगाने से रोके. याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि CCPA के दिशा-निर्देश मनमाने और अव्यवहारिक हैं, इसलिए उन्हें रद्द किया जाना चाहिए. लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और CCPA की गाइडलाइंस को पूरी तरह से वैध बताया.
CCPA के दिशा-निर्देशों का पालन अनिवार्य
CCPA ने 2022 में यह निर्देश जारी किए थे, जिनके तहत:
- रेस्तरां या होटल भोजन बिल में स्वचालित रूप से सर्विस चार्ज नहीं जोड़ सकते.
- सर्विस चार्ज को किसी अन्य नाम से भी नहीं वसूला जा सकता.
- उपभोक्ताओं को सर्विस चार्ज देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, यह पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा.
- सर्विस चार्ज को खाने के बिल में जोड़कर उस पर GST नहीं लगाया जाएगा.
- सर्विस चार्ज न देने पर ग्राहक को किसी भी तरह से सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता.
सरकार का बयान
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि CCPA के निर्देशों के अनुसार होटल और रेस्तरां बिल में सर्विस चार्ज डिफॉल्ट रूप से नहीं जोड़ सकते और न ही इसे किसी अन्य नाम से वसूला जा सकता है.
इस फैसले के बाद अब होटल और रेस्तरां ग्राहकों को सेवा शुल्क देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. यदि कोई उपभोक्ता स्वेच्छा से भुगतान करना चाहे, तो ही सर्विस चार्ज लिया जा सकता है.
-भारत एक्सप्रेस
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